वर्ष 2026 के अंत तक, चंद्रमा पर पहला परमाणु रिएक्टर स्थापित करने की संयुक्त राज्य अमेरिका की योजना को व्हाइट हाउस के हालिया निर्देश से बढ़ावा मिला है.
इस परमाणु रिएक्टर योजना के लिए, अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मिलकर वर्ष, 2021 के शुरू में ही उद्योग डिजाइन प्रस्ताव को स्वीकार करने का इरादा किया है. इसके तहत, वर्ष 2027 तक नासा को चंद्रमा की सतह पर विखंडन शक्ति (फिशन पॉवर) परियोजना शुरू करने के लिए कहा गया है.
व्हाइट हाउस का आदेश क्या जाहिर करता है?
संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार द्वारा जारी किया गया यह आदेश यूरेनियम ईंधन प्रसंस्करण क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देता है जो ग्रह और चंद्र सतह के लिए उपयुक्त ऊर्जा उत्पादन को सक्षम बनायेगा.
अंतरिक्ष में परमाणु रिएक्टर होने का महत्व
नासा का लक्ष्य एक उड़ान हार्डवेयर प्रणाली स्थापित करना है जो वर्ष, 2026 के अंत तक चंद्र लैंडर के साथ एकीकरण के लिए तैयार हो जाएगा.
परमाणु रिएक्टर या विखंडन शक्ति प्रणाली चंद्रमा के साथ-साथ मंगल ग्रह के लिए भविष्य के मानव अन्वेषण और रोबोट मिशनों को भी लाभान्वित करेगी. कुशल, सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध बिजली की उपलब्धता विभिन्न मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है और यह विखंडन सतह विद्युत प्रणाली इन आवश्यकताओं को पूरा करती है.
विखंडन सतह विद्युत प्रणाली का विकास
• परमाणु रिएक्टर के तौर पर नामित इस विखंडन सतह शक्ति प्रणाली को एक साथ जोड़ा जाएगा और पूरी तरह से पृथ्वी पर निर्मित किया जाएगा फिर, पेलोड के तौर पर एक लैंडर पर एकीकृत किया जाएगा.
• इस प्रणाली को चंद्रमा की सतह पर लैंडर पहुंचने के बाद, प्लेलोड प्लेटफार्म से संचालित और तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा.
• इस प्रणाली में चार प्रमुख उपतंत्र शामिल होंगे - एक परमाणु रिएक्टर, ऊष्मा अस्वीकृति सरणी, एक विद्युत शक्ति रूपांतरण इकाई और बिजली प्रबंधन एवं वितरण प्रणाली. इसे 10 वर्षों की समयावधि तक संचालित करने के लिए निर्मित और विकसित किया जाएगा.
• सभी सुरक्षा आवश्यकताओं का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा.
• चंद्रमा का वह क्षेत्र, जहां यह परमाणु रिएक्टर रखा जाएगा, निर्धारित कर लिया गया है.
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