भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर में सबसे बड़े समझौते के रूप में अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीदने का निर्णय लिया है. फ्लिपकार्ट के निवेशक सॉफ्टबैंक द्वारा वॉलमार्ट को उसकी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची जाएगी.
सॉफ्टबैंक, फ्लिप्कार्ट का सबसे बड़ा निवेशक है. इसमें सॉफ्टबैंक का हिस्सा 26.4 हजार करोड़ का है जिसे 'सन' ने ये हिस्सा 16.5 हजार करोड़ में खरीदा था. मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार यह समझौता 1 लाख करोड़ रुपए (16 अरब डॉलर) में होगा. वॉलमार्ट ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सा खरीदेगी.
फ्लिपकार्ट के टॉप शेयरहोल्डर | हिस्सेदारी |
सॉफ्टबैंक | · 20.8 % |
टाइगर ग्लोबल | 20.6 % |
नेस्पर | 12.8 % |
टेनसेंट | 5.9 % |
ईबे सिंगापुर | 6.1 % |
एक्ससेल पार्टनर्स | 6.4 % |
बिन्नी बंसल | 5.25 % |
सचिन बंसल | 5.55 % |
वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट डील के प्रमुख तथ्य
• दोनों कम्पनियों के बीच करीब 16 अरब डॉलर का सौदा हुआ है.
• वॉलमार्ट भारतीय कंपनी में लगभग 77 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी.
• जापान की सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प अपनी 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचेगी.
• वॉलमार्ट से सौदे के बाद भी अब फ्लिपकार्ट की बाकी की हिस्सेदारी सिर्फ बिन्नी बंसल के नेतृत्व में ही संचालित होगी.
• टेनसेंट होल्डिंग्स लिमिटेड, टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट एवं माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प शेयर होल्डर्स बने रहेंगे.
• फ्लिपकार्ट में सॉफ्टबैंक की 20.8 प्रतिशथ, ईबे की 6.1 प्रतिशत, बिन्नी बंसल की 5.25 प्रतिशत और सचिन बंसल की 5.55 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
• फ्लिपकार्ट के दूसरे फाउंडर सचिन बंसल कंपनी में अपनी पूरी 5.5 फीसद की हिस्सेदारी बेचकर कंपनी से बाहर होने का फैसला लिया है.
फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण का भारत के रिटेल सेक्टर पर असर |
इस सौदे से वॉलमार्ट को भारत में खुदरा ऑनलाइन बाजार में अपने कदम रखने में मदद मिलेगी. इस सौदे से पहले ही वॉलमार्ट भारत में लगभग 43,700 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है. अब वॉलमार्ट का भारत में कुल कारोबार लगभग 67,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा. फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण का सबसे ज्यादा असर छोटे रिटेल और ऑनलाइन दुकानदारों पर पड़ेगा. उन्हें डर है कि वॉलमार्ट उन्हें हटा सकता है. 500 बिलियन डॉलर की वॉलमार्ट अक्सर अधिक मुनाफे के लिए बदलाव करती रहती है. छोटे व्यापारियों को डर है कि फ्लिपकार्ट की मदद से वॉलमार्ट अपने लेबल की भारत में एंट्री कर सकता है, जिससे उन्हें बड़ा झटका लगेगा. |
ई-कॉमर्स बाज़ार पर असर
अब भारतीय बाज़ार में अमेज़न और वॉलमार्ट रह जायेंगे. अमेजन और वॉलमार्ट दोनों ही ग्राहकों को लुभाने के लिए कई तरह के डिस्काउंट पेश कर सकते हैं. ऐसे में ग्राहकों को बेहतर डील और भारी डिस्काउंट मिल सकता है. वॉलमार्ट की एंट्री से भारतीय रिटेल सेक्टर को भी एक बूस्ट मिलेगा. इससे ग्राहकों को कम दाम पर ज्यादा वरायटी उपलब्ध होगी. नई कम्पनियां इस क्षेत्र में आ सकती हैं और ग्राहकों को फायदा हो सकता है.
· बेचकर कंपनी से बाहर होने का फैसला लिया है.
फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण का भारत के रिटेल सेक्टर पर असर |
इस सौदे से वॉलमार्ट को भारत में खुदरा ऑनलाइन बाजार में अपने कदम रखने में मदद मिलेगी. इस सौदे से पहले ही वॉलमार्ट भारत में लगभग 43,700 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है. अब वॉलमार्ट का भारत में कुल कारोबार लगभग 67,000 करोड़ तक पहुंच जाएगा. |
फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण का सबसे ज्यादा असर छोटे रिटेल और ऑनलाइन दुकानदारों पर पड़ेगा. उन्हें डर है कि वॉलमार्ट उन्हें हटा सकता है. 500 बिलियन डॉलर की वॉलमार्ट अक्सर अधिक मुनाफे के लिए बदलाव करती रहती है. छोटे व्यापारियों को डर है कि फ्लिपकार्ट की मदद से वॉलमार्ट अपने लेबल की भारत में एंट्री कर सकता है, जिससे उन्हें बड़ा झटका लगेगा. |
Comments
All Comments (0)
Join the conversation