आपको कैसा लगेगा जब आप बिना इंटरनेट के लाइव वीडियो का आनंद ले. आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस दौर में हर रोज नई से नई टेक्नोलॉजी देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में भारत सरकार भी देशवासियों को एक नई खुशखबरी देने की तैयारी कर रहा है.
भारत सरकार इस समय एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जहां से आप बिना इंटरनेट कनेक्शन के अपने स्मार्टफोन पर लाइव टीवी चैनल देख सकते है जिसे डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) तकनीक के नाम से जाना जाता है. हाल के समय में सरकार डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग पर काम कर रही है. चलिये पता करते है इस टेक्नोलॉजी के बारें में.
संचार मंत्रालय ने D2M तकनीक की विशेषताओं के बारें में भी एक पत्र के माध्यम से विस्तार से बताया है. इसका मुख्य फोकस मोबाइल-केंद्रित और कंटेंट, हाइब्रिड प्रसारण, रियल टाइम और ऑन-डिमांड कंटेंट और इंटरैक्टिव सेवाओं पर है.
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क्या है डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी:
डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी की मदद से आप बिना इंटरनेट कनेक्शन के अपने स्मार्टफोन पर लाइव टीवी और वीडियो का आनंद ले सकते है. इस टेक्नोलॉजी के आ जाने से इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता थोड़ी हद तक कम होगी.
डायरेक्ट-टू-मोबाइल सर्विस की टेस्टिंग:
हाल ही में डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) तकनीक की भारत के कई शहरों में टेस्टिंग चल रही है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव अभय करंदीकर ने एक कार्यक्रम में डायरेक्ट-टू-मोबाइल तकनीक पर बात की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लॉन्च करने से पहले तमाम शहरों में इसकी टेस्टिंग की जा रही है.
वहीं प्रसारण शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि यह एक घरेलू तकनीक है. टेस्टिंग के पहले फेज में 19 शहरों में इस तकनीक की टेस्टिंग की जा रही है. पिछले साल परीक्षण करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट बेंगलुरु, कर्तव्य पथ और नोएडा में किये गए थे.
कैसे काम करती है यह तकनीक:
यह टेक्नोलॉजी एफएम रेडियो के समान कार्य करती है जहां पर एक रिसीवर होता है जो भेजे गए सिग्नल को रिसीव करता है. यह तकनीक भी डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) प्रसारण तकनीक के समान है जिसमें डिश एंटीना सैटलाइट से सीधे सेट-टॉप बॉक्स तक सिग्नल पहुंचता है. D2M नेटवर्क 526MHz-582MHz बैंड में काम करेगा जिसमें एक बड़े एंटेना की आवश्यकता होती है.
क्यों अभी रोलआउट नहीं हुआ:
साल 2022 में आईआईटी कानपुर ने एक 'D2M ब्रॉडकास्ट 5G ब्रॉडबैंड कन्वर्जेंस रोडमैप फॉर इंडिया' पेपर में बताया था कि वर्तमान में यूज़ किये जा रहे मोबाइल डिवाइस इस तकनीक को सपोर्ट नहीं करते है. इस टेक्नोलॉजी के लिए एडवांस स्मार्टफोन, बेसबैंड फिल्टर और रिसीवर की जरूरत होगी. इस टेक्नोलॉजी को चालू करने के लिए इस पर काम किया जा रहा है.
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