अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एयरपोर्ट के पास 26 अगस्त 2021 को हुए आत्मघाती डबल धमाकों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस-के (ISIS-K) ने ली है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन धमाकों में 12 अमेरिकी नौसैनिकों समेत अब तक 100 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 150 लोग जख्मी हुए हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट के स्थानीय सहयोगी दल आईएसआईएस-के ने लंबे समय से अमेरिकी कर्मियों पर हमले की योजना बनाई थी. बता दें कि यह दल पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय है. अफगानिस्तान के सभी जिहादी और चरमपंथी संगठनों में यह दल बेहद हिंसक माना जाता है.
ISIS-K क्या है?
यह आतंकवादी समूह आईएसआईएस (ISIS) का एक सहयोगी संगठन है. इस संगठन की स्थापना साल 2015 में हुई थी. आईएसआईएस से अलग हुआ ये समूह ज्यादातर पूर्वी अफगानिस्तान, जो खुरासान प्रांत के रूप में जाना जाता है, में फैला है. इसी वजह से इसका नाम भी आईएसआईएस-K यानी ISIS-खुरासान पड़ा है.
खुरासान शब्द एक प्राचीन इलाके के नाम पर आधारित है, जिसमें कभी उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईराक का हिस्सा शामिल था. फिलहाल यह अफगानिस्तान और सीरिया के बीच का हिस्सा है. आईएसआईएस-K ने एक बार उत्तरी सीरिया और इराक में बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था.
इन पर कर चुका है कई हमले
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक, आईएसआईएस-K ने साल 2015 से साल 2017 के बीच अफगानिस्तान और पाकिस्तान में नागरिकों पर 100 से ज्यादा हमले किए हैं. इसी अवधि के दौरान उसने अमेरिकी, पाकिस्तानी और अफगान सैनिकों पर लगभग 250 हमले किए हैं.
तालिबान से क्या रिश्ता?
आईएसआईएस-K और तालिबान के बीच कट्टर दुश्मनी का रिश्ता है. इस समूह के बारे में कहा जाता है कि यह तालिबान की तरह कट्टरपंथी नहीं है. दोनों विद्रोही समूह अफगानिस्तान में इलाके को कब्जा करने के दौरान कई बार आपस में भिड़ चुके हैं. इस संगठन में जुड़े लोग आतंकी संगठन अलकायदा की विचारधारी रखते हैं. इसे सीरिया से संचालित किया जाता है. तालिबान को सबसे ज्यादा खतरा आईएसआईएस-K से ही है.
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