हाईलाइट्स:
- विपक्ष के विरोध के बीच आज संसद में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश कर दिया गया.
- लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने का प्रस्ताव.
- संविधान के कई अनुच्छेदों, जैसे अनुच्छेद 82ए, 83(2), और 327 में संशोधन प्रस्तावित
- विपक्ष की चिंता: क्षेत्रीय दलों के कमजोर होने का खतरा.
One Nation One Election Bill: विपक्ष के विरोध के बीच आज संसद में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश कर दिया गया. मोदी सरकार ने पहले ही "एक राष्ट्र, एक चुनाव" (One Nation, One Election) पहल के तहत दो महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दे दी थी. इन विधेयकों का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करना है. यह निर्णय भारतीय चुनाव प्रणाली में सुधार के व्यापक प्रयास का हिस्सा है और इसे संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र (20 दिसंबर 2024 तक) में पेश किया जा सकता है. विधेयक को दोनों सदनों की संयुक्त समिति में भेजा जा सकता है, जहां इसकी विस्तृत चर्चा होगी.
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क्या है "एक राष्ट्र, एक चुनाव" बिल:
संवैधानिक संशोधन: पहला विधेयक एक संवैधानिक संशोधन है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की अनुमति देगा. इसके लिए संविधान के कई अनुच्छेदों, जैसे अनुच्छेद 82ए, 83(2), और 327 में संशोधन प्रस्तावित है.
पहला चरण: लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना.
दूसरा चरण: नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनावों को 100 दिनों के भीतर लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के साथ संरेखित करना.
क्यों अहम है यह बिल?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से यह पहल उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रही है. इसके समर्थकों का मानना है कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी और बार-बार होने वाले चुनावों से बचते हुए प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार होगा.
क्या है विपक्ष की चिंताएं:
प्रमुख विपक्षी दल, जैसे कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC), ने इस पहल का विरोध किया है. उनका कहना है कि इससे क्षेत्रीय दलों को नुकसान पहुंचेगा, राष्ट्रीय दलों का वर्चस्व बढ़ेगा, और यह संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है.
आलोचकों का तर्क यह भी है कि यह प्रस्ताव भारत के चुनाव आयोग के अधिकार को कमजोर कर सकता है, जिसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए संवैधानिक रूप से अनिवार्य किया गया है.
LOKSABHA में बिल पेश?
"एक राष्ट्र, एक चुनाव" (ONOE) से जुड़े विधेयक को आज, 17 दिसंबर 2024 को लोकसभा में पेश किया गया है. यह विधेयक संविधान के 129वें संशोधन का हिस्सा है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 दिसंबर को मंजूरी दी थी.
क्या है आगे की प्रक्रिया:
मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद, इन विधेयकों को आगे विचार के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजे जाने की संभावना है. सरकार जनता को इन बदलावों के प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाने की योजना बना रही है.
यह कदम भारत के चुनावी परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर लोकतंत्र के कामकाज पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं.
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