संयुक्त राष्ट्र ने 2 दिसंबर 2014 को अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस मनाया. यह दिन मानव तस्करी, बाल श्रम और आधुनिक गुलामी के अन्य रूपों के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए मनाया जाता है.
अवलोकन के तौर पर दुनिया भर से आए धार्मिक नेता आधुनिक गुलामी को खत्म करने के लिए वैटिकन में एकजुट हुए और आधुनिक गुलामी के खिलाफ उन्होंने एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर भी किया. धार्मिक नेताओं में पोप फ्रांसिस अंग्रेजी, रूढ़ीवादी, यहूदी, शिया और सुन्नी मुस्लिम, हिन्दू और बौद्ध प्रतिनिधियों के साथ पॉन्टिफकल एकेडमी ऑफ साइसेंस में शामिल हुए.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की– मून ने विश्व के नेताओं, व्यापारियों एवं नागरिक समाज से मानव तस्करी, यौन शोषण, बाल श्रम, जबरदस्ती शादी और सशस्त्र संघर्ष के समय बच्चों की जबरदस्ती भर्ती जैसी बर्बर प्रथाओं को दूर करने की गुजारिश की.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने प्रमुख कलाकारों, एथलीटोंके साथ मिलकर एक नए अभियान एण्ड स्लेवरी नाउ की वकालत की. इस दिन कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें दुनिया के लोगों ने कविता, विचारात्मक लेख और छोटी कहानियों के जरिए अपना दृष्टिकोण सबके सामने रखा.
आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 21 मिलियन महिलाएं, पुरुष और बच्चे गुलामी की जंजीरों में अब भी जकड़े हुए हैं.
अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस के बारे में
अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा के व्यक्तियों के आवागमन के दमन और दूसरों की वेश्यावृत्ति के शोषण पर हुए सम्मेलन के जरिए 2 दिसंबर 1929 को मनाना शुरु किया गया था.
इन दिन गुलामी के परंपरागत रूपों जैसे मानव तस्करी, यौन शोषण, बाल श्रम, जबरदस्ती शादी और सशस्त्र संघर्ष के दौरान बच्चों की सेना में जबरन भर्ती के उन्मूलन पर केंद्रित है.
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