अक्टूबर 2011 में भारत का औद्योगिक उत्पादन शून्य से 5.1 प्रतिशत नीचे दर्ज की गई. भारत के औद्योगिक उत्पादन में पिछले 28 महीने में यानी जून 2009 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है. उत्पादन में गिरावट की मुख्य वजह मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्र का खराब प्रदर्शन रहा.
भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की अक्टूबर 2011 की वृद्धि शून्य से छह प्रतिशत नीचे चली गई. जबकि पिछले साल इसी महीने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. इसी तरह खनन क्षेत्र की वृद्धि दर भी शून्य से 7.2 प्रतिशत नीचे चली गई है. जबकि पिछले साल यह 6.1 प्रतिशत थी. इस कारण अक्टूबर 2010 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर भी 11.3 प्रतिशत रही थी.
यूरो क्षेत्र और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती के साथ-साथ घरेलू बाजार में ऊंची ब्याज दरों ने औद्योगिक उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है. भारतीय रिजर्व बैंक मार्च 2010 के बाद से 13 बार प्रमुख नीतिगत दरों (रेपो और रिवर्स रेपो) में वृद्धि कर चुका है. इस कारण कर्ज महंगा होने से औद्योगिक क्षेत्र में गतिविधियां तो प्रभावित हुई ही हैं, मांग में भी कमी आई है. टीवी, फ्रिज जैसे टिकाऊ उपभोक्ता सामान की बिक्री और उत्पादन में भी अक्टूबर में गिरावट दर्ज की गई. इस क्षेत्र में उत्पादन बढ़ने की रफ्तार भी शून्य से 0.3 प्रतिशत नीचे चली गई है.
अर्थशास्त्र के जानकारों के अनुसार यदि अक्टूबर से दिसंबर 2011 तक औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि ऋणात्मक बनी रहती है तो भारत की आर्थिक विकास की दर भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है.
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