दिल्ली उच्च न्यायालय (एचसी) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत के अटॉर्नी जनरल का कार्यालय सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई), 2005 के अंतर्गत आता है.
अटॉर्नी जनरल का कार्यालय एक पब्लिक अथॉरिटी है, इसलिए वह सूचना के अधिकार कानून (आरटीआइ) के अंतर्गत आता है. अदालत ने कहा कि अटॉर्नी जनरल केवल सरकार का एक वकील ही नहीं है, यह भी एक संवैधानिक अथॉरिटी है.
न्यायमूर्ति विभू बाखरू की खंडपीठ ने केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले को बदल दिया और कहा कि अटॉर्नी जनरल (एजी) का कार्यालय आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के अंतर्गत एक सार्वजनिक अथॉरिटी है.
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल और आर के जैन की ओर से दायर दो अलग-अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह निर्णय किया. दो आरटीआई कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले को चुनौती दी थी और अटॉर्नी जनरल कार्यालय को भी सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के दायरे में लाये जाने हेतु अदालत से आग्रह किया था.
इससे पहले दिसंबर 2012 में सीआईसी की पूर्ण पीठ ने कहा था कि अटॉर्नी जनरल केवल एक व्यक्ति है और इसे सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अथॉरिटी नहीं माना जा सकता है.
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