संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट ने 19 दिसंबर 2015 को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने हेतु आईएमएफ के सुधारों को स्वीकृति प्रदान की गयी. अब यह अनुमोदन राष्ट्रपति बराक ओबामा की स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा.
यदि यह स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे भारत एवं चीन जैसे देशों को आईएमएफ में विशेष स्थान हासिल होगा.
बदलाव
• चीन के वोटिंग अधिकार 3.8 प्रतिशत से बढ़कर 6 प्रतिशत हो जायेंगे जिससे यह देश संस्था में तीसरा सबसे बड़ा शेयरहोल्डर बन जायेगा. अभी यह छठे स्थान पर है.
• इससे आईएमएफ के स्रोत बढ़कर 660 बिलियन डॉलर के हो जायेंगे.
• चीन के वोटिंग अधिकार बढ़ने से अमेरिका का वोटिंग अधिकार 16.7 प्रतिशत से 16.5 प्रतिशत पर आ जायेगा.
• नयी व्यवस्था के तहत आईएमएफ बोर्ड को पूरी तरह फिर से चुना जायेगा.
• भारत का वोटिंग अधिकार भी 2.3 प्रतिशत से बढ़कर 2.6 प्रतिशत हो जायेगा.
• इन सुधारों में यूरोपियन अर्थव्यवस्थाओं के वोटिंग अधिकार कम हो जायेंगे.
• वीटो का अधिकार अमेरिका के पास बना रहेगा.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बनाये गये आईएमएफ एवं विश्व बैंक में यह सबसे बड़ा बदलाव है.
इस निर्णय से चीन की मुद्रा रेंबिंबी को अमेरिकी डॉलर, यूरो, येन एवं ब्रिटिश पोंड के समकक्ष स्थान प्राप्त होगा.
आईएमएफ सुधारों पर 188 सदस्यों ने वर्ष 2010 में स्वीकृति जाहिर की थी.
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