भारतीय रिजर्व बैंक तथा केंद्र सरकार के तमाम उपायों के बावजूद विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रुपये की लगातार गिरती कीमत रुक नही रही है. आरबीआई ने इसी दिशा में 13 अगस्त 2013 को कुछ और कदम उठाये.
नये उपायों में सबसे प्रमुख है विदेशी मुद्रा के बहिर्गमन पर लगायी गयी आंशिक रोक. आरबीआई ने स्वचालित मार्ग (Automatic Route) के तहत घरेलू कंपनियों के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई, Overseas Direct Investment, ODI) की सीमा को उनके निवल मूल्य (Net Worth) का 100 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है. पहले यह सीमा निवल मूल्य का 400 प्रतिशत थी.
आरबीआई ने इस प्रतिबंध के बारे में स्पष्ट किया कि यह सीमा घरेलू कंपनियों द्वारा विदेश में उर्जा क्षेत्र में गैर निगमित इकाईयों की स्थापना के लिए ओडीआई स्कीम के तहत भेजी जाने वाली राशि पर भी यह सीमा लागू होगी.
आरबीआई ने अपने एक अन्य उपाय के तहत नागरिकों द्वारा उदारीय विप्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme, LRS Scheme) के अंतर्गत विदेश भेजी जाने वाली राशि की सीमा 2 लाख डॉलर प्रतिवर्ष से घटाकर 75000 डॉलर प्रतिवर्ष कर दी.
केंद्रीय बैंक ने विदेश मुद्रा के बहिर्गमन को रोकने हेतु एक और कदम यह भी उठाया कि विदेशों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में अचल संपत्तियों के क्रय के लिए एलआरएस के उपयोग की अनुमति नहीं होगी.
विदित हो कि 14 अगस्त 2013 को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक न्यूनतम स्तर 61.43 रुपये प्रति डॉलर तक चला गया.
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