एशियाटिक सोसायटी, बिहार द्वारा इतिहासकार बिपन चंद्रा को इतिहास रत्न से सम्मानित किया गया. उन्हें यह पुरस्कार उनके 86वें जन्मदिवस पर एशियाटिक सोसायटी, बिहार के सचिव ओपी जायसवाल ने नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कैम्पस में 17 दिसंबर 2013 को प्रदान किया.
बिपन चंद्रा इतिहास रत्न से सम्मानित होने वाले चौथे इतिहासकार हैं. इनसे पहले वर्ष 2010 में राम शरण शर्मा को वर्ष 2011 में इरफ़ान हबीब को और वर्ष 2012 में जेएस ग्रेवल को दिया गया था.
बिपन चंद्रा से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• बिपन चंद्रा वर्ष 1985 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष (General President) रहे.
• बिपन चंद्रा वर्ष 1993 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य बने.
• उन्होंने नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र की अध्यक्षता की.
• बिपन चंद्रा वर्ष 2004 से 2012 तक नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली के अध्यक्ष रहे.
• बिपन चंद्रा का जन्म हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी में 1928 को हुआ था.
बिपन चंद्रा की प्रमुख पुस्तकें
• आर्थिक राष्ट्रवाद का उदय और विकास
• स्वतंत्रता के बाद भारत (India after Independence)
• इन द नेम ऑफ़ डेमोक्रेसी: जेपी मूवमेंट एंड इमर्जेसी (In the Name of Democracy: JP Movement and Emergency)
• आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद और उपनिवेशवाद (Nationalism and Colonialism in Modern India)
• सांप्रदायिकता और भारतीय इतिहास-लेखन (Communalism and the Writing of Indian History)
• भारत का आधुनिक इतिहास (History of Modern India)
• महाकाव्य संघर्ष (The Epic Struggle)
• भारतीय राष्ट्रवाद पर निबंध (Essays on Indian Nationalism)
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