यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा की जमानत टाडा अदालत ने 30 दिसंबर 2010 को मंजूरी दी. 54 वर्षीय अरबिंद राजखोवा को नवंबर 2010 में बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार कर मेघालय सीमा पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया था. गिरफ्तारी के समय से वह गुवाहाटी सेंट्रल जेल में थे. रिहाई के बाद अरबिंद राजखोवा 30 वर्ष बाद पहली बार अपने गृहनगर लखुवा जा सकेंगे. 7 अप्रैल, 1979 को उल्फा की स्थापना के बाद से ही वह ऊपरी असम स्थित अपने गांव से भूमिगत हो गए थे. राजखोवा वर्ष 2010 में जमानत पर रिहा होने वाले उल्फा के छठे नेता हैं. इससे पहले उल्फा के उपाध्यक्ष प्रदीप गोगोई, उप प्रमुख कमांडर राजू बरुआ, सांस्कृतिक सचिव प्रनति डेका, प्रचार सचिव मिथिंगा दैमरी और वरिष्ठ नेता व राजनीतिक विचारक भीमकांत बुरागोहैन को जमानत मिल चुकी है.
चर्चा है कि सरकार ने उल्फा से वार्ता का प्रस्ताव दिया है. इसी के मद्देनजर असम सरकार ने राजखोवा की जमानत पर कोई आपत्ति नहीं की. इससे असम सरकार और उल्फा की शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त हुआ.
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