नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 अप्रैल 2015 को उन सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी है जो 2010 के तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जारी किये गए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते.
यह निर्देश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे की जाँच करने के क्रम में न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा दिया गया.
एनजीटी आदेश के मुख्य बिंदु
निर्माण कार्यों में कार्यरत श्रमिकों के लिए मास्क की व्यवस्था होनी चाहिए.
सभी बिल्डरों और निर्माणकर्ताओं को निर्माण क्षेत्र के आसपास तिरपाल चादरें डालनी चाहिए.
बिल्डर और मालिक सहित किसी भी व्यक्ति को सड़क या कालोनी के अन्दर किसी भी तरह की निर्माण सामग्री विशेषकर रेत फेंकने की अनुमति नहीं होगी.
निर्माण स्थल पर संग्रहित निर्माण सामग्री ढक कर रखा जाना चाहिए ताकि यह हवा में उड़कर इधर उधर न फैले.
निर्माण सामग्री और मलबे को ले जाते समय, परिवहन वाहनों को पूरी तरह से ढका जाना चाहिए.
यदि कोई भी बिल्डर या मालिक निर्माण स्थल पर अथवा मलबे को ले जाते समय उपरोक्त मानदंडों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसे 50,000 रुपए और 5000 रुपए तक का जुर्माना देना होगा.
दिल्ली-एनसीआर में सरकारी संस्थाएं अधिक के अधिक पेड़ लगाने का प्रयास करेंगी तथा निर्माण सामग्री के मलबे की रीसाइक्लिंग के लिए प्रभावी कदम उठाएंगी.

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