ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने दुनिया का पहला 3 डी-प्रिंटेड जेट इंजन का 26 फ़रवरी 2015 को अनावरण किया. यह अपनी तरह का पहला 3डी प्रिंटेड जेट इंजन है.
यह इंजन ऑस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी और अमैरो इंजीनियरिग कंपनी के शोधकर्ताओं के दल ने विकसित किया.
अमैरो के अनुसार प्रिंटेड इंजन का अगले 12 महीनों के भीतर उड़ान परीक्षण किया जाएगा और अगले दो से तीन वर्ष के भीतर वाणिज्यिक उपयोग के लिए लाइसेसं प्रदान किया जाएगा.
जेट इंजन की विशेषताएं
- जेट इंजन का निर्माण नवीन विनिर्माण तकनीक से किया गया.
- 3डी प्रिंटिंग मशीन पीसे हुए निकल, टाइटेनियम या एल्यूमीनियम फ्यूज को वस्तु के आकार में बदलने के लिए उच्चस्तरीय लेजर का उपयोग करता है.
- यह इंजन अब महीनों के बजाय कुछ दिनों में ही जेट इंजन के कुछ हिस्सों के निर्माण और परीक्षण में इंजीनियरों की मदद करेगा. यह इंजीनियरों को सस्ता, हल्का और अधिक ईंधन कुशल जेट इंजन के निर्माण करने में मदद करेगा.
इस विकास का महत्व
3डी प्रिंटिंग जेट इंजन का विकास ऑस्ट्रेलिया के विनिर्माण क्षेत्र, विशेष रूप से 3डी प्रिंटेड बाजार में अत्यधिक महत्व रखता है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का ऐसा तीसरा देश है जिसके पास बड़े प्रारूप के 3डी धातु प्रिंटर है. फ्रांस और जर्मनी दोनों देशों के पास भी इस तरह के प्रिंटर हैं. इसके अलावा अमैरो, सैफरन, माइक्रोटुब्रो, एयरबस जैसी बड़ी विमानन कंपनियां के साथ उनके जेट इंजन के उपकरण बनाने पर विचार कर रही है.
3डी प्रिंटिंग तकनीक के बारे में
3डी प्रिंटिंग एक डिजिटल फाइल से त्रि-विमीय ठोस वस्तुओं के बनाने की एक प्रक्रिया है. 3डी प्रिंटिंग में कम्प्यूटर के नियन्त्रण में वस्तु पर किसी पदार्थ की परत-दर-परत डालकर वस्तु तैयार की जाती है.
3डी प्रिंटिंग का विकास 1980 के दशक के आसपास हुआ था. इसके जरिए बंदूक, घरों और अजन्मे बच्चों के मॉडल विकसित किए गए.
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