केंद्र सरकार ने बेजबरुआ समिति की सिफारिशों को 2 जनवरी 2015 को स्वीकार कर लिया. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये सिफारिशें आगामी छह माहीनों में लागू की जाएंगी.
पांच सदस्यों वाली बेजबरुआ समिति का गठन एम पी बेजबरुआ की अध्यक्षता में फरवरी 2014 में किया गया था. इस समिति का काम देश के अन्य हिस्सों में उत्तर पूर्व के लोगों की चिंताओं पर गौर करना था.
समिति का गठन दिल्ली में अरुणाचल प्रदेश के छात्र नीडो तानिया की हत्या के बाद किया गया था. गृह मंत्रालय को इस समिति ने जुलाई 2014 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.
समिति की मुख्य सिफारिशें
समिति ने तत्काल, अल्प कालिक और दीर्ध कालिक उपायों जिन्हें निश्चित समयावधि में लागू किया जाना है, की सिफारिश की है.
क) तत्काल– इसे 6 माह से 1 वर्ष के भीतर लागू किया जाना है.
ख) अल्पकालिक– इसे 1 से 1.5 वर्षों के भीतर लागू किया जाना है
ग) दीर्ध कालिक– इसे 1.5 से 3 वर्षों के भीतर लागू किया जाना है.
तत्काल उपाय
• समिति ने दूसरे विकल्प के रूप मे भारतीय दंड संहिता की धारा 153 में संशोधन की सिफारिश की है.
• इस इलाके के लोगों के खिलाफ बढ़ती हिंसा से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता में नए कानून बनाने की सिफारिश तथा अन्य बातों के अलावा नए कानून में ये शामिल होना चाहिए–
क) उनके खिलाफ किया गया कोई भी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती बनाया जाना चाहिए.
ख) इसमें यह भी कहा गया है कि एफआईआर की जांच 60 दिनों में पूरी कर ली जानी चाहिए.
ग) ऐसे मामलों के सभी अत्याचारों को संभालने के लिए एक विशेष अभियोजन को नियुक्त किया जाना चाहिए.
घ) ट्रायल 90 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए.
• आठ उत्तर पूर्व राज्यों के प्रतिनिधियों के लिए कानूनी जागरूकता प्रशिक्षण.
• इसमें जघन्य अपराध पीड़ितों की मदद के लिए राहत कोष की स्थापना की भी सिफारिश की गई है.
अल्पकालिक उपायः
• उत्तर पूर्वी भारत के अधिक से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग.
• उत्तर पूर्व के लोगों की संस्कृति और जरूरतों के बारे में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को संवेदनशील बनाना.
• उत्तर पूर्व के लोगों पर नजर रखने के लिए व्यापक कंप्यूटर डाटाबेस.
• उत्तर पूर्व भारत से खेल को बढ़ावा देना ताकि शेष भारत के साथ उनका संबंध स्थापित किया जा सके.
दीर्घकालिक उपायः
• समिति ने केंद्र सरकार को नस्ल विरोधी कानून पर बहस शुरु करने की सिफारिश की थी.
• दिल्ली मे उत्तर– पूर्व केंद्र की स्थापना.
केंद्र सरकार द्वारा घोषित उपाय
उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों से संबंधित किसी भी प्रकार की जाति, संस्कृति या भौतिक उपस्थिति पर की जाने वाली आपत्तिजनक टिप्पणी आपको पांच वर्षों के लिए जेल की सजा दिला सकती है.
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने दिल्ली कानून राज्य सेवा प्राधिकरण द्वारा उत्तर पूर्व के लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का फैसला किया है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए पांच महिला सदस्यों समेत सात वकीलों का एक पैनल बनाया गया.
सेना में उत्तर पूर्व के लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए, सरकार ने दिल्ली पुलिस को प्रत्येक उत्तरपूर्वी राज्य से 20 पुलिसकर्मियों की भर्ती की सलाह दी. सरकार ने यह फैसला भी किया है कि हिंसा के शिकार इस क्षेत्र के लोगों को दिल्ली सरकार मुआवजा और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.
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