केंद्र सरकार ने अस्पतालों में तपेदिक (टीबी) रोग की पहचान के लिए रक्त जांच की आयातित एलिसा किट पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसकी जानकारी 20 जून 2012 को दी गई थी. इस बारे में गठित विशेषज्ञ दल की जांच-पड़ताल के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिरो-डायग्नोस्टिक किट के आयात पर प्रतिबंध लगाया क्योंकि इसकी जांच में कमियां पाई गई और इससे रोग की सही-सही पहचान नहीं हो पाती.
एलिसा किट के इस्तेमाल से मानवीय जीवन को खतरा उत्पन्न हो सकता है.
विदित हो कि एलिसा किट्स फ्रांस और ब्रिटेन से आयात की जाती हैं. इन देशों में तपेदिक मरीजों के संदर्भ में एलिसा किट का प्रयोग नहीं होता.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी तपेदिक की पहचान के लिए रक्त जांच पर तुरंत प्रतिबंध लगा ने की बात कही थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विशेषकर यह रोक निजी अस्पतालों में की गई रक्त जांच पर लगाने की वकालत की.
इस तरह की रक्त जांच के खिलाफ प्रमाण के बावजूद भारत में 15 लाख तपेदिक (टीबी) मरीजों की जांच सिरो-डायग्नोस्टिक किट से की जाती है. इस तरह की जांच पर मरीजों का लगभग 75 करोड़ रुपए वार्षिक खर्च होता है.
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