केंद्र सरकार ने कृत्रिम प्रजनन के लिए फ्रोजेन मानव भ्रूणों के आयात को 15 जनवरी 2014 को मंजूरी प्रदान की. इसके साथ ही विदेशी दंपत्ति को फ्रोजेन मानव भ्रूण भारत लाने और उससे किराए की कोख के द्वारा बच्चा पैदा करवाने का अधिकार मिल गया.
नियम में यह ढील बांझपन से संबंधित अन्य उपचार जैसे इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) पर भी लागू होगा. इससे एक तरफ तो बांझपन के इलाज करने में मदद मिलेगी और दूसरी तरफ इससे भारत में चिकित्सा पर्यटन बाजार के लिए बड़ा रास्ता खुल जाएगा.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) आयातित सामग्री की गुणवत्ता पर नियंत्रण के लिए एक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्रदान करेगा. नियम के मुताबिक फ्रोजेन मानव भ्रूण को किराए की कोख के जरिए पैदा करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन एनओसी संबंधी नियम बहुत कड़े हैं.
एनओसी के लिए आवश्यक दस्तावेजों में एआरटी क्लिनिक में पंजीकरण का प्रमाणपत्र शामिल है. एआरटी क्लिनिक मानव भ्रूणों या गैमेट्स के हस्तांतरण और भारत में नाम और पते के साथ जिस अस्पताल में जिस डॉक्टर की देखरेख में इलाज होना है, उसकी सिफारिश करेगी.
विदेशी अस्पताल उस महिला को प्रमाणपत्र देगा जो गर्भधारण नहीं कर सकती या किसी अवांछनीय चिकित्सीय प्रभाव के कारण गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं. आयातित गैमेट्स बांझ दंपत्ति में से कम से कम एक का है, इसका प्रमाणपत्र भी होना चाहिए.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation