केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 अगस्त 2014 को डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को मंजूरी दी. इस कार्यक्रम पर एक लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटल तौर पर सशक्त ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाएगा.
डिजिटल इंडिया प्रोग्राम पहले से ही चलाए जा रहे राष्ट्रीय ई–गवर्नेंस प्लान का बदला हुआ संस्करण है. यह प्रोग्राम वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.
प्रोग्राम का उद्देश्य
प्रोग्राम का उद्देश्य विकास के नौ क्षेत्रों पर जोर देना है. ये क्षेत्र हैं– ब्रॉडबैंड राजमार्ग, कहीं पर भी मोबाइल की कनेक्टिविटि, पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम, ई–गवर्नेंस, ई–क्रांति (जिसका उद्देश्य सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलिवरी होगा), सभी के लिए सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, नौकरियों के लिए आईटी और अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स.
इस प्रोग्राम में शामिल परियोजनाओं का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी सेवाएं नागरिकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध हैं और वे नवीनतम सूचनाओं और संचार प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा सकते हैं.
प्रोग्राम का विजन
डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत सरकार के विजन में आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना जैसे ग्राम पंचायत स्तर पर उच्च स्पीड वाला इंटरनेट, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसी सरकारी सेवाओं की मांग पर उपलब्धता और डिजिटल तरीके से शिक्षित कर नागरिकों को डिजिटल रूप से सश्क्त बनाना शामिल है.
प्रोग्राम की निगरानी
प्रोग्राम की निगरानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक समिति करेगी और आर्थिक मामलों की मंत्रिमडलीय समिति (सीसीईए) उसी के आधार पर परियोजनाओं को मंजूरी देगी.
डिजिटल इंडिया सलाहकार समूह बनाया जाएगा और इसके अध्यक्ष केंद्रीय संचार एवं आईटी मंत्री होंगे.
एक शीर्ष समिति भी होगी जिसकी अध्यक्षता कैबिनेट सचिव और व्यय वित्त समिति (ईएफसी) या गैर योजना व्यय समिति (सीएनई) करेगी.
प्रोग्राम का कार्यान्वयन
डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के लिए जहां भी संभव होगा सरकार सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को अपनाना पसंद करेगी.
मौजूदा ई–गवर्नेंस परियोजनाओं के अलावा, सरकार राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र का पुनर्गठन करेगी जो कि सरकारी विभागों में आईटी परियोजनाओं की सुविधाएं मुहैया कराएगी.
सरकार कम–से–कम दस प्रमुख मंत्रालयों में मुख्य सूचना अधिकारियों (सीआईओ) का पद बनाएगी ताकि विभिन्न ई–गवर्नेंस परियोजनाओं का डिजाइन बनाया जा सके, उन्हें विकसित और तेजी से कार्यान्वित किया जा सके.
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी विभाग (DeitY) प्रोग्राम के प्रबंधन के लिए विभाग में जरूरी वरिष्ठ पदों का सृजन करेगा.
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