संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) स्थित मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (एमजीएच) के शोधकर्ताओं ने स्मार्ट फोन आधारित उपकरण विकसित किया है, जिसे डी 3 (डिजिटल डिफ्रेक्शन डायग्नोसिस) सिस्टम नाम दिया गया. यह कैंसर से जुड़े ट्यूमर की जांच के लिए सही मॉलेक्यूलर का पता लगाता है.
इस खोज के बारे में अप्रैल 2015 के दूसरे सप्ताह में एक शोध पत्र में जानकारी प्रकाशित की गयी, जिसका शीर्षक था, ‘डिजिटल डिफ्रेक्शन एनालिसिस इनेबल्स लो कॉस्ट मॉलिक्यूलर डाग्नोस्टिक ऑन ए स्मार्ट फोन’. शोध पत्र का प्रकाशन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) ऑनलाइन जर्नल में किया गया.
डी 3 सिस्टम की कैंसर जांच प्रक्रिया में शामिल चरण
प्रथम चरणः मरीज के खून अथवा टिशू का एक छोटा सा नमूना लिया जाता है और इस पर सूक्ष्म बीड्स का लेबल लगाया जाता है. कैंसर संबंधी मॉलीक्यूल्स का पता लगाने के लिए इन सूक्ष्म बीड्स को बांधा जाता है जिससे इमेजिंग के दौरान डिफ्रेक्शन पैटर्न उत्पन्न होता है.
दूसरा चरणः डी 3 सिस्टम में एक इमेजिंग मॉड्यूल और एक बैटरी से चलने वाली एलईडी (लाइट एमिटिंग डायोड) लगी होती है, जो एक स्मार्ट फोन के कैमरे पर ऊपर की ओर होती है.
तीसरा चरणः स्मार्ट फोन के उपयोग से नमूने का उच्च रिजॉल्यूशन इमेजिंग डाटा रिकॉर्ड हो जाता है.
चौथा चरणः रिकॉर्ड किया गया डाटा कंप्यूटर सर्वर से होकर क्लाउड के द्वारा विश्लेषण के लिए भेजा जाता है.
पांचवा चरणः सर्वर माइक्रो बीड्स द्वारा उत्पन्न डिफ्रेक्शन पैटर्न का विश्लेषण करता है.
छठवां चरणः अगले एक घंटे में क्लाउड के माध्यम से परिणाम भेज दिया जाता है.
डी3 सिस्टम का महत्व
यह सिस्टम एकल इमेज में रक्त अथवा टिशू के सैंपल से 10,000 से अधिक सेल्स के डाटा को रिकॉर्ड करने में सक्षम है.
यह नूमनों को सटीक तरह से उच्च जोखिम अथवा कम जोखिम अथवा शुरुआती लक्षणों की निर्भरता के अनुसार श्रेणीबद्ध कर सकता है.
सिस्टम के द्वारा उत्पन्न किया गया डाटा पारंपरिक गोल्ड स्टैंडर्ड पैथोलॉजी अथवा मॉलीक्यूलर परिणामों के लिए एचपीवी टेस्टिंग से मेल खाता है.
इस सिस्टम के उपयोग के द्वारा कैंसर जांच करने का खर्च 1 से 80 यूएस डॉलर हो सकता है.
सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह एक वरदान साबित हो सकता है.
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