गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड पाए महेंद्रनाथ दास की सजा के क्रियान्वयन पर 14 सितंबर 2011 को रोक लगा दी. गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमबी लोकर और न्यायमूर्ति के मेरुनो की खंडपीठ ने नवंबर 2011 तक के लिए महेंद्रनाथ दास की फांसी की सजा पर रोक लगा दी.
महेंद्रनाथ दास के अधिवक्ता ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में तर्क दी कि राष्ट्रपति के पास भेजी गई उसकी दया याचिका पर निर्णय होने में 12 वर्ष लग गए, जोकि जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संबंध में संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है.
ज्ञातव्य हो कि महेंद्रनाथ दास को हराकांता दास नामक व्यक्ति की गर्दन काटने के मामले में निचली अदालत द्वारा वर्ष 1997 में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी. वर्ष 1999 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी सजा को बरकरार रखा था. जून 1999 में महेंद्रनाथ दास ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भेजी थी, जो 12 वर्ष बाद अस्वीकार कर दी गई थी.
गौरतलब है कि 30 अगस्त 2011 को मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी के तीन हत्यारों मुरुगन, सांथन और पेरारीवालन की फांसी की सजा आठ सप्ताह के लिए रोक दी थी. इन तीनों ने भी तर्क दिया था कि राष्ट्रपति के समक्ष भेजी गई दया याचिका पर निर्णय होने में 11 वर्ष से अधिक का समय लग गया,जोकि संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है.
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