पंजाब एवं हरियाणा के राज्यपाल तथा केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक कप्तान सिंह सोलंकी ने 1 जुलाई 2015 को चंडीगढ़ शहर के लिए औद्योगिक नीति—2015 जारी की. इस नीति का उद्देश्य रोजगार के अवसरों को बढ़ाना तथा शहर में मध्यम व छोटे दर्जे के उद्योगों को प्रोत्साहन देना है.
यह नीति चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं चंडीगढ़ इंडस्ट्री द्वारा सुझाव आमंत्रित करने के बाद चंडीगढ़ उद्योग विभाग द्वारा बनाई गयी.
औद्योगिक नीति की प्रशासन द्वारा एक निश्चित अंतराल पर समीक्षा की जाएगी.
औद्योगिक नीति 2015 की विशेषताएं
चंडीगढ़ में प्रदूषण मुक्त उद्योगों को बढ़ावा दिया जायेगा. आधुनिक और कुशल तकनीकों के उपयोग से उत्पादकता को बढाया जायेगा.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के तहत आने वाली सुविधाएं जैसे पानी कनेक्शन, सीवर कनेक्शन, पावती सेवाएं तथा फैक्ट्रीज अधिनियम, 1948 के तहत बिजली कनेक्शन, सीएसटी/टिन नंबर और लाइसेंस सेवाओं का निपटान निश्चित समयावधि में किया जायेगा.
विभाग यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर इन सेवाओं को प्रदान नहीं करता तो सेवाओं को अनुमोदित समझा जाएगा.
प्रशासन श्रम कानून के विभिन्न अधिनियमों के तहत स्वयं प्रमाणीकरण शुरू करेगा तथा जहां आवश्यक होगा वहां निर्धारित छूट भी दी जाएगी. वैट आवेदन पत्र भी ऑनलाइन जारी किए जाएंगे.
नीति के तहत प्रशासन द्वारा फ़ास्टनर्स/नट बोल्ट, ट्रैक्टर के पुर्जे तथा बाथरूम फिटिंग के लिए उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की जाएगी.
कुछ अतिरिक्त गतिविधियां जैसे आईटी इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर / सॉफ्टवेयर / आईटीईएस इकाइयों को औद्योगिक क्षेत्रों में अनुमति दी जाएगी.
औद्योगिक क्षेत्र में खाली औद्योगिक भूखंडों को प्रशासन की नीति के अनुसार आवंटित किया जायेगा.
सिंगल विंडो प्रणाली को 2 अक्टूबर 2015 से अनिवार्य किया जायेगा. इससे नए एवं मौजूदा उद्यमियों को विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय तक जाने की भाग दौड़ से राहत प्राप्त होगी.
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