ग्रेट वाल : चीन की उत्तरी सीमाओं पर किलेबंदी के लिए बनाई गई एक श्रृंखला
बीजिंग टाइम्स द्वारा जून 2015 के चौथे सप्ताह में प्रकाशित की गई रिपोर्ट के अनुसार यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित चीन की दीवार का लगभग 30 प्रतिशत भाग समय के साथ विलुप्त हो गया और इसके अतिरिक्त इस दुर्ग का 1185 किमी हिस्सा अब भी खराब अवस्था में है.
यह सर्वेक्षण वर्ष 2014 में ‘ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना सोसायटी’ द्वारा आयोजित किया गया था. इसमें से 1962 किलोमीटर हिस्सा समय के साथ विलुप्त हो गया है.
हवा और बारिश, पर्यटन, दीवारों में पौधों का उगना, मकान बनाने के लिए ईंटों चोरी और लापरवाह मानव गतिविधियों आदि को इस क्षति के लिए जिम्मेदार बताय गया है.
यह दीवार पत्थर, ईंट और लकड़ी से बनी है और चीन की उत्तरी सीमा में पूर्व से पश्चिम की फैली है. यह विश्व में मनुष्य द्वारा किया गया सबसे लम्बा निर्माण माना जाता है.
यह पूर्वी तट पर शानहैगुआन से गोबी रेगिस्तान के किनारे पर जियुगुँ तक फैली है.
इस दीवार के निर्माण का उद्देश्य यूरेशियन मैदान के विभिन्न खानाबदोश समूहों के हमलों से चीनी साम्राज्य की रक्षा करना था.
यूनेस्को के इस विश्व विरासत स्थल का निर्माण सबसे पहले तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुआ था और मिंग राजवंश (1368-1644) के कार्यकाल तक लगभग 6300 किलोमीटर का निर्माण किया गया.
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