चीन ने अपने एशियाई पड़ोसियों के लिए उपग्रह प्रणाली पूरी तरह से खोला

Dec 30, 2013, 11:19 IST

चीन ने एशियाई देशों को उनके अपने बीईडीयू नेविगेशन प्रणाली (BeiDou Navigation System) को मुफ्त में इस्तेमाल करने का आमंत्रण दिया.

चीन ने एशियाई देशों को उनके अपने बीईडीयू नेविगेशन प्रणाली (BeiDou Navigation System) को मुफ्त में इस्तेमाल करने का आमंत्रण 27 दिसंबर 2013 को दिया.

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चीन का इरादा स्वदेश में निर्मित बीईडीयू नेविगेशन प्रणाली जिसमें पहले से ही 16 उपग्रह हैं, के प्रसार का है.  अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और रूस के जीएलओएनएएसएस के विकल्प के तौर पर चीन बीडीयू उपग्रह विकसित करने को इच्छुक है. जीपीएस 1970 से सक्रिय है और उसकी कक्षा में उपग्रह हैं. ये उपग्रह दो दशकों से भी ज्यादा समय से काम कर रहे हैं. बीडीयू (BeiDou) ने वर्तमान पीढ़ी के उपग्रहों में पहला उपग्रह सिर्फ पांच वर्ष पहले ही शुरू किया है.

जीपीए (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) में 30 उपग्रह हैं जबकि बीडीयू में सोलह से ज्यादा उपग्रह है और साल 2020 तक इसके पूरा होने पर इसमें चालीस और उपग्रह शामिल किए जाएंगे. इसपर कुल 6 अरब डॉलर की लागत आएगी.

उपग्रहों की संख्या जितनी अधिक होगी उतना ही चलायमान वस्तुओं का स्थान, समय और गति की गणना करने में आसानी होगी.

इस परिदृश्य में चीन अमेरिकी जीपीएस की ही तरह अपने उपग्रहों को पड़ोसी मुल्कों को मुफ्त में इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दे रहा है. मुख्य ध्यान एशिया– प्रशांत क्षेत्र खासकर दक्षिण और दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों पर है जहां उपग्रह सबसे अधिक सटीकता से गणना प्रदान करते हैं.
 
पाकिस्तान में सेवाओं में सुधार के लिए चीन वहां स्टेशनों को विकसित कर रहा है.

जनवरी 2014 तक, साल 2014 में थाइलैंड बीडीयू पर आधारित उपग्रह स्टेशन का निर्माण करने वाला पहला देश बन जाएगा. इसके लिए दोनों देशों ने 319 मिलियन डॉलर का समझौता किया.

बीडीयू के सफल विकास का अर्थ है तेजी से शक्तिशाली हो रही चीन की सैन्य सशस्त्र बल के पास एक सटीक, स्वतंत्र नेविगेशन प्रणाली होना. बीजिंग को महान शक्ति का दर्जा दिलाने के लिए मिसाइलों, युद्धपोतों और हमले के विमान के मार्गदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है.
 
यह प्रणाली जो सबसे पहले सिर्फ सरकार और सेना के इस्तेमाल के लिए 2011 में शुरू किया गया था, पिछले एक साल में इसका इस्तेमाल घरेलू स्तर पर असैनिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर शुरू किया जा चुका है.

वर्तमान में चीन के 80 फीसदी  यात्री बसें और ट्रक इस प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं. चीनी राज्य परिषद या कैबिनेट ने सितंबर में कहा कि एक रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू उपग्रह नेविगेशन उद्योग साल 2020 तक 400 मीलिन युआन यानि 4 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा.

बीडीयू एक मात्र उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है जो दूरसंचार सेवाएं प्रदान करता है. इसका अर्थ है कि उपयोगकर्ता के स्थान और समय संबंधी सूचना देने के अलावा बीडीयू उपयोगकर्ता के बारे में सूचनाएं अन्य लोगों को भेज सकता है और उपयोगकर्ता से टेक्स्ट मैसेज के जरिए बातचीत कर सकता है.

चीन ने सबसे पहले बीडीयू सिस्टम के लिए पहले उपग्रह की शुरुआत 2000 में की थी और साल 2003 से इसके प्रारंभिक संस्करण का इस्तेमाल यातायात नियंत्रण, मौसम की भविष्यवाणी और आपदा राहत कार्यों के लिए परीक्षण के आधार पर किया गया था.

1000 से ज्यादा बीडीयू टर्मिनलों का इस्तेमाल साल 2008 में सिचुआन में आए भूकंप के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्र की जानकारी लेने के लिए किया गया. इस प्रणाली का इस्तेमाल 2008 के बीजिंग ओलंपिक खेलों और 2010 के शंघाई एक्सपो के दौरान भीड़ और जगहों की निगरानी के लिए किया गया था.
 
वैश्विक उपग्रह नेविगेशन सेग्मेंट पिछले एक दशक में काफी व्यस्त बाजार बन गया है और आने वाले समय में इसके और अधिक व्यस्त बन जाने की उम्मीद है. रुस ने हाल ही में अपने जीएलओएनएएसएस उपग्रहों की संख्या पूरी की है ( हालांकि इसमें से उसने एक खो दिया है). यूरोप अपना गैलिलियो प्रणाली समाप्त कर रहा है जबकि भारत और जापान जैसे देश कम– से– कम क्षेत्रीय नेविगेशन नेटवर्क विकसित करने की योजना बना रहे हैं.

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