केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान द्वारा बुलाई गई एक उच्चस्तरीय बैठक में चीनी का आयात शुल्क 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का फैसला नई दिल्ली में 23 जून 2014 को लिया गया. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने चीनी के आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी और गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए मिलों को 4400 करोड़ रूपए तक का अतिरिक्त ब्याज - मुक्त ऋण प्रदान करने का भी फैसला किया. इस निर्णय से बाजार में चीनी की कीमतों में भी 60 रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि दर्ज की गई.
चीनी उद्योग को राहत प्रदान करने और गन्ना किसानों को 11000 करोड़ रुपए का बकाया चुकाने के उद्देश्य से निर्यात सबसिडी को सितंबर 2014 तक बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया.
सरकार के इस निर्णय से मिलों का नकदी प्रवाह बढ़ेगा और गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करने में मदद मिलेगी. आयात शुल्क में वृद्धि (40 प्रतिशत) से यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय बाजार में विदेशी चीनी की आवक कम होगी. भारतीय बाजार में पहले से 20- 25 लाख टन चीनी का अतिरिक्त भंडार है.
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के अनुसार केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को उनके द्वारा चुकाये जाने वाले उत्पाद शुल्क के विरुद्ध तीन साल की बजाय पांच साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया है. हालांकि केंद्रीय खाद्य मंत्री ने कहा कि विभाग को अभी उत्पाद शुल्क के मद्देनजर उद्योग को प्रदान किए जाने वाले सही-सही ब्याज मुक्त ऋण का आकलन करना है.
दिसंबर 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 6600 करोड़ रूपए का ब्याज मुक्त ऋण मंजूर किया था. उस समय सरकार ने कहा था कि वह मिलों को बैंकों से उनके द्वारा पिछले तीन साल में चुकाये गए उत्पाद शुल्क के बराबर ब्याज मुक्त कर्ज सुलभ करवाएगी.
केंद्रीय खाद्य मंत्री के अनुसार इन फैसलों की घोषणा इस शर्त पर निर्भर करती है कि चीनी मिलें इस बात की गारंटी दें कि वे किसानों को शीघ्रातिशीघ्र 11000 करोड़ रूपए के गन्ना बकाये का भुगतान करेंगी.
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