दक्षिण चीन के शेनझेन शहर के जीनोमिक्स संगठन के वैज्ञानिकों ने 13 जनवरी 2015 को तिब्बती हाइलैंड जौ का पहला आनुवंशिक मानचित्र प्रकाशित किया. हाइलैंड जौ को तिब्बत में नी नाम से जाना जाता है, किंघाई– तिब्बत पठार पर करीब 4000 वर्षों से उगाया जा रहा है.
जीनोम का मसौदा प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस (पीएनएएस) में प्रकाशित किया गया था.
चीनी वैज्ञानिकों का शोध अनुमानित 4.5 बिलियन रसायनों के आधार जोड़ो में से 3.89 बिलियन को इक्ट्ठा किया जो जौ के जीनोम का डीएनए बनाता है और इसमें 39197 प्रोटीन जीन कोडिंग को भी शामिल किया. इससे पहले वैज्ञानिकों ने अनुवंशिक रूप से गेहूं जीनोम और सोयाबीन जीनोम की मैपिंग की थी. गेहूं के जीनोम में करीब 17 बिलियन आधार जोड़े (बेस पेयर्स) होते हैं जबकि सोयाबीन जीनोम में करीब 1.7 बिलियन होते हैं.
जौ के जीन मैपिंग का महत्व
हाईलैंड जौ दक्षिणपश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के सभी अनाज फसलों का 70 फीसदी तक होता है. यह विश्व के अग्रणी जौ उत्पादन का घर और जौ विविधता अनुसंधान का केंद्र है.
तिब्बती जौ का जेनेटिक मैप हिमालय क्षेत्र के प्रधान भोजन के बेहतर उपभेद खेती और उपज में वृद्धि में मदद करेगा. इसके अलावा यह पर्यावरण की चरम स्थिति और पैदावार बढ़ाने के लिए अनुकूलन को समझने में सहायता कर सकता है.
जीनोम क्या है?
जीनोम जीव के डीएनए, जटिल अणुओं जो सभी जीवित जीवों के गठन को निर्दिष्ट करता है, का पूर्ण पूरक है. किसी जीव के जीनोम का आकार उसके आधार संख्या से मापा जाता है.बेस पेयर्स डीएनए का बिल्डिंग ब्लॉक्स होता है.
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