आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने 31 जुलाई 2015 को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास योजना में संशोधन की घोषणा की. मंत्रालय के अनुसार, इसे नए वित्त वर्ष के प्रारंभ (अप्रैल 2015) से लागू माना जायेगा.
आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने केंद्रीय योजना "विशेष रूप से कमजोर समूहों का विकास" (पीवीजीटी) में संशोधन किया है. इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार राज्य सरकारों को विशेष रूप से कमजोर समूहों के विकास के लिेए आवास, भूमि वितरण और विकास, कृषि विकास, पशु पालन, सम्पर्क सड़कों का निर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों और अन्य गतिविधियों के लिए 100 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करता है. विशेष रूप से कमजोर समूहों के विकास के लिए राज्य सरकारें जनजातीय समूहों का आंकलन कर संरक्षण और विकास योजना (सीसीडी) पर आधारित विस्तृत सामाजिक आर्थिक योजना तैयार करती है. आजीविका, स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा जैसे सामाजिक संकेतों के अनुसार उनकी सुरक्षा तथा सुधार के लिए प्राथमिकता दी जाती है ताकि उनकी कमजोरी को कम किया जाए.
विदित हो कि वर्तमान में पीवीटीजी के अंतर्गत विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों जैसे आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और अंडमान एवं निकोबार दीप समूह में 75 जनजातीय समूह की पहचान और वर्गीकरण किया जा चुका है.
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