जापान ने 1 जुलाई 2014 को 60 वर्षों से चली आ रही शांतिवाद को खत्म कर दिया और सेना को बल आजमाने का अधिकार दिया. इसके लिए प्रस्ताव प्रधानमंत्री शिंजो अबे के नेतृत्व में जापानी मंत्रिमंडल ने अपनाया था.
मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव के तहत कुछ न्यूनतम डिग्री अपने पास रखी है जिसके तहत जापान बल प्रयोग कर सकता है और वे हैं–
- जापान के अस्तित्व को खतरा होने पर.
- ऐसे में लोगों के जीवन, स्वतंत्रता और खुशी के अधिकार को विकृत करने और उसका कोई विकल्प नहीं होने पर.
- जापान के आसपास के क्षेत्र में हमले के तहत अमेरिकी सेना को रक्षात्मक समर्थन.
- विदेशी खतरे की सूरत में जापान के नागरिकों की रक्षा के लिए अमेरिकी सेना के साथ सैन्य सहयोग.
- युद्ध के समय माइनस्विपिंग गतिविधियों में भाग ले सकता है.
- जापान के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा की आपूर्ति या संचार के लिए गंभीर रूप से महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के उपयोग की रक्षा के लिए जापानी बलों की तैनाती.
टिप्पणी
वर्ष 1947 के संविधान की धारा 9 द्वारा लगाए गए जापान में शांतिवाद के अंत के साथ ही जापानी सशस्त्र बल का गठबंधन विकल्प के रुप में अन्य अधिक विकसित देशों की सेनाओं के साथ हो जाएगा. यह संकल्प संयुक्त राष्ट्र नीत शांति–बनाए रखने वाली गतिविधियों एवं युद्ध के माहौल में ग्रे जोन की घटनाओं में संबंध सीमा प्रदान करता है. अब देश की सेना सामूहिक आत्मरक्षा के लिए जा सकती है या हमले के तहत मित्र देश की सहायता कर सकती है.
जापान के संविधान के युद्ध छोड़ने वाले अनुच्छेद 9 ने खुद का बचाव करने के लिए जापान की क्षमता को सीमित कर दिया था. अनुच्छेद 9 ने देश को इसकी तत्काल भौगोलिक क्षेत्र की आत्मरक्षा के लिए उसकी जरूरत से अधिक बड़ी सेना के निर्माण से रोक रखा था. युद्ध के बाद वाले संविधान ने जापान को आत्मरक्षा के मामलों को छोड़कर संघर्ष का समाधान करने से भी वर्जित कर रखा था.
जापान की सेना को विदेशों में लड़ने की अनुमति ने कई जापानी मतदाताओं के बीच चिंता पैदा कर दी है और चीन भी इस कदम से चिढ़ गया है क्योंकि समुद्री पंक्ति पर चीन के साथ संबंध अच्छे नहीं थे.
हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को हराने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस कदम का स्वागत किया है और कहा है कि इससे अमेरिकी–जापान गठबंधन और मजबूत बनेगा. एक सुरक्षा सहयोग संधि पर अमेरिका जापान का करीबी सहयोगी है. जापान का अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर होने की वजह जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आपसी सहयोग और सुरक्षा की संधि है.
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