भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए जुलाई 2014 के आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2014 में औसत मानसून की प्रतिशतता 90.3 प्रतिशत दर्ज की गई.
विदित हो कि प्रारंभिक जुलाई में मानसून में 43 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई थी. ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्री-तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव ‘अल नीनो’ को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है.
जुलाई 2014 के दौरान देश भर में औसत बरसात 260.8 मिलीमीटर दर्ज की गई. वर्षा की यह मात्रा भारतीय मौसम विभाग द्वारा जुलाई 2014 के सबंध में की गई विभाग की भविष्यवाणी के काफी निकट रही.
वर्षा में हुई इस वृद्धि से पश्चिमी समुद्र तटों के साथ-साथ मध्य भारत और पूर्व भारत में बरसात में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई. वर्षा में इस वृद्दि से भारत के मध्य क्षेत्र महाराष्ट्र, विदर्भ, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात को विशेष तौर पर लाभ हुआ.
वर्ष 2014 मे जुलाई सबसे अधिक बरसात वाले महीनों में से रहा और इस दौरान हुई बरसात से खरीफ की फसल को लाभ होने की उम्मीद की जा रही है.
बंगाल की खाड़ी से बनने वाले कम दबाव के क्षेत्र ने जुलाई 2014 के महीने में बरसात की वृद्धि में सहायता की.
हालांकि उत्तर पश्चिम भारत के हिस्से, जैसे पंजाब, हरियाण और पश्चिमी उत्तर प्रदेश अभी भी अच्छी बरसात की उम्मीद में हैं. इस मौसम में पंजाब में 58 प्रतिशत, हरियाण में 54 प्रतिशत और दिल्ली में 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई. जिन क्षेत्रों में भारतीय मौसम विभाग द्वार खराब मानसून की भविष्यवाणी की गई थी, जिसमें से उत्तर पश्चिम भारत में मौसम की कुल 85 प्रतिशत बरसात होने की संभावना व्यक्त की गई थी.
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