डब्ल्यूएचओ के आईएआरसी ने लिंडेन, डीडीटी तथा 2,4-डी को मनुष्यों में कैंसर का कारण बताया

Jun 26, 2015, 17:35 IST

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने 23 जून 2015 को लिंडेन, डीडीटी तथा 2,4-डी को मनुष्यों में कैंसर का कारण घोषित किया

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने 23 जून 2015 को लिंडेन, डीडीटी तथा 2,4-डी को मनुष्यों में कैंसर का कारण घोषित किया. आईएआरसी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कैंसर की रोकथाम के लिए बनायी गयी एक विशेष एजेंसी है.

यह निर्णय फ्रांस स्थित ल्योन में आयोजित 13 देशों के 26 विशेषज्ञों की आठ दिन की अनिवार्य बैठक के बाद लिया गया.  इसे आईएआरसी द्वारा मोनोग्राफ कार्यक्रम के रुप में तीन एजेंटों की कार्सिनोजेनेसिटी क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए स्थापित किया गया था.

गामा-हेक्साक्लोरोसाइक्लोहेक्सेन (लिंडेन) : पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर आईएआरसी ने कीटनाशकों को मनुष्यों के लिए कार्सिनोजेनिक (समूह 1) बताया है.


इसका प्रयोग बड़ी मात्रा में खेती के दौरान कीटनाशकों को समाप्त करने तथा मनुष्यों में लाइस तथा स्केबीज़ का उपचार करने में प्रयोग किया जाता है. इसकी सबसे अधिक मौजूदगी खेती करने वाले मजदूरों तथा कीटनाशक बेचने वाले व्यक्तियों में पायी गई. अधिकतर देशों में इसके प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गयी है.

कृषि आधारित विस्तृत महामारी विज्ञान के अंतर्गत हुए शोधों में यह पाया गया है कि अमेरिका तथा कनाडा में जो लोग लिंडेन के संपर्क में रहते हैं उनमें कैंसर का खतरा 60 प्रतिशत अधिक होता है.

डीडीटी : आईएआरसी ने इसे (समूह 2) मनुष्यों के लिए कैंसर का एक संभावित कारण पाया है. शोध का यह निष्कर्ष मनुष्यों में अपर्याप्त साक्ष्यों तथा पशुओं में पर्याप्त साक्ष्यों की मौजूदगी पर आधारित है. इस बात के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं कि 2,4-डी तनाव का कारण बनता है जिसमें पाया गया कि मनुष्यों में इसकी मौजूदगी के कारण उनमें तनाव तथा मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है.

वर्ष 1945 में इसका प्रयोग आरंभ हुआ और तभी से ही इसे खेती, वानिकी तथा शहरी क्षेत्रों में खरपतवार की उपज रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

व्यवसायिक कार्यों के दौरान 2,4-डी के संपर्क में आने की सम्भावना होती है जबकि सामान्य तौर पर यह भोजन, पानी, धूल तथा घरेलू कामों के दौरान भी मनुष्यों को चपेट में ले सकता है.


आईएआरसी मोनोग्राफ कार्यक्रम

यह मनुष्यों में कैंसर के प्राकृतिक कारणों का मूल्यांकन करता है.

यह रसायन (जैसे फॉर्मलडिहाइड), जटिल मिश्रण (जैसे वायु प्रदूषण), व्यावसायिक जोखिम (जैसे कोक उत्पादन में काम), भौतिक तत्व (जैसे सौर विकिरण), जैविक तत्व (जैसे हेपेटाइटिस बी वायरस), तथा व्यक्तिगत आदतों (जैसे धूम्रपान) का मूल्यांकन करता है.

मूल्यांकन के बाद, आईएआरसी कार्सिनोजेन्स को पांच श्रेणियों में विभक्त करता है जो मनुष्यों में कार्सिनोजेन्स की मौजूदगी (समूह 1) से मनुष्यों में कार्सिनोजेन्स की संभावित मौजूदगी नहीं (समूह 4) के बीच वर्गीकृत है.

वर्ष 1971 से अब तक 900 तत्वों का मूल्यांकन किया जा चुका है जिसमें से 400 से अधिक तत्वों में कैंसर के लिए उत्तरदायी कारक पाए गए हैं.

आईएआरसी केवल तत्वों को वर्गीकृत करता है तथा इसके लिए कुछ निर्देश, कानून अथवा सार्वजनिक स्वास्थ्य निर्देशिका जारी नहीं करता क्योकि यह उत्तरदायित्व सरकारों तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों का है.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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