औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने 9 अक्टूबर 2014 को जापान से फास्ट ट्रैक निवेश प्रस्तावों और सुविधाओं के लिए एक विशेष प्रबंधन टीम का गठन किया. इसका नाम जापान प्लस रखा गया है.
जापान प्लस, जापान सरकार के एमईटीआई (अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय) के कीनोचीरो टोयोफूकू द्वारा समन्वित किया जाना है और इसमें भारत सरकार के चार भारतीय और एमईटीआई के दो जापानी अधिकारी होंगे.
जापान प्लस टीम की मुख्य विशेषताएं
• जापान प्लस टीम का आदेश पूरे निवेश प्रोत्साहन स्पेक्ट्रम– अनुसंधान, पहुंच, प्रोमोशन, सुविधाएं और अनुरंक्षण, पर लागू होगा.
• यह टीम विभिन्न क्षेत्रों में भारत सरकार को शुरुआत करने, आकर्षित करने, सुविधा मुहैया कराने, फास्ट ट्रैकिंग और जापानी निवेशों को हाथों हाथ लेने में मदद करेगा.
• यह विभिन्न क्षेत्रों में निवेश, परियोजनाओं और खास तौर पर औद्योगिक गलियारों में, पर नवीनतम जानकारी प्रदान करने के लिए भी जिम्मेदार होगा.
• इसके अलावा, यह भावी जापानी कंपनियों जिसमें सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम (एमएमई) समेत, की पहचान करेगा और उन्हें भारत में निवेश करने की सुविधा प्रदान करेगा.
• यह टीम डीआईपीपी को नियमित बेंच मार्किंग अध्ययन, बाधाओं की पहचान और जापानी कंपनियों के लिए पसंदीदा क्षेत्रों में चिंताओं को पहचानने में भी मदद करेगा और भारत में उनके औद्योगिक विकास उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करेगी.
कोर ग्रुप का गठन
केंद्र सरकार ने भी भारत–जापान निवेश प्रोमोशन पार्टनरशिप पर एक कोर ग्रुप गठित किया है जिसकी अध्यक्षता मंत्रिमंडल सचिव करेंगे. इस ग्रुप में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, विदेश सचिव और डीआईपीपी, आर्थिक मामलों, व्यय, वित्तीय सेवाओँ, राजस्व, वाणिज्य, शहरी विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य के सचिव होंगे.
कोर ग्रप को औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग सेवित करेगा. यह कोर ग्रुप तालमेल बैठाएगा औऱ जापान से होने वाले निवेशों को विभिन्न क्षेत्रों में सुविधाएं मिल रही हैं और निवेश के अवसरों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का पूरी तरह से लाभ उठाया जा रहा है, को सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया की निगरानी करेगा.
भारत और जापान
फार्मास्यूटिकल, ऑटोमोबाइल्स औऱ सेवा क्षेत्र में मुख्य दिलचस्पी के साथ भारत का चौथा सबसे बड़ा एफडीआई योगदानकर्ता है. यह भारत में आने वाले कुल एफडीआई इक्विटी का 7.46 फीसदी है.
जापानी कंपनियों के लिए भारत आकर्षक निवेश गंतव्य है. भारत में 1072 जापानी कंपनियों के 2542 व्यापार ठिकाने हैं.
पिछले एक दशक के दौरान, भारत में जापानी प्रतिष्ठानों की संख्या 11गुना बढ़ी है. यह जापानी निवेशकों में भारतीय बाजार के प्रति सकारात्मक भावनाओं को दर्शाती है.
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