युवा आलोचक संजीव कुमार को वर्ष 2010 के देवीशंकर अवस्थी स्मृति सम्मान के लिए चयनित किया गया. 11 मार्च 2011 को पांच सदस्यीय पुरस्कार समिति ने 15वें देवीशंकर अवस्थी स्मृति सम्मान के लिए संजीव कुमार का चयन उनकी आलोचना पुस्तक जैनेन्द्र और अज्ञेय: सृजन का सैद्धांतिक नेपथ्य के लिए किया. इस पुस्तक में संजीव ने जैनेंद्र और अज्ञेय के बारे में हिंदी अकादमिक आलोचना में व्याप्त गलतफहमियों का सप्रमाण प्रत्याख्यान किया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज के हिंदी विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत संजीव कुमार का जन्म 1967 में बिहार के पटना में हुआ था. संजीव कुमार प्रेमचंदोत्तर उपन्यासों की सैद्धांतिकी और उसका रचनात्मक उपयोग पर पीएच.डी. हैं. संजीव कुमार जनवादी लेखक संघ के त्रैमासिक नया पथ के संपादन से भी जुड़े हैं.
विदित हो कि देवीशंकर अवस्थी स्मृति सम्मान समकालीन हिंदी आलोचना के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 1995 से प्रतिवर्ष युवा आलोचक को उसकी एक महत्त्वपूर्ण आलोचनात्मक कृति के लिए प्रदान किया जाता है. यह सम्मान आलोचक देवीशंकर अवस्थी के जन्म दिन 5 अप्रैल को दिया जाता है.
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