दो बार मैन बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला: ब्रिटेन की हिलेरी मेंटल

International/World Current Affairs 2012. ब्रिटेन की लेखिका हिलेरी मेंटल को फिक्शन वर्ग में उनके उपन्यास ब्रिंग अप द बॉडीज के लिए वर्ष ...

Oct 17, 2012, 18:32 IST

ब्रिटेन की लेखिका हिलेरी मेंटल को फिक्शन वर्ग में उनके उपन्यास ब्रिंग अप द बॉडीज के लिए वर्ष 2012 का बुकर पुरस्कार दिया गया. इसी के साथ वह दो बार बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला बना गई. हिलेरी मेंटल इससे पहले वर्ष  2009 में इसी श्रृंखला के पहले उपन्यास वॉल्फ-हॉल के लिए बुकर पुरस्कार जीता था.

बुकर पुरस्कार 2012 के लिए अंतिम पांच में चयनित विल सेल्फ का उपन्यास अम्ब्रेला भी था जो पुस्तक प्रेमियों का पसंदीदा रहा है. इस प्रतिस्पर्धा में शामिल अन्य रचनाकारों में भारत के जीत थायल (नार्कोपोलिस), तान त्वान एंग (द गार्डन ऑफ इवनिंग मिस्ट्स), डेबोरा लेवी (स्वीमिंग होम) और एलिजन मूर (द लाइटहाउस) थे.

हिलेरी मेंटल की अन्य रचनाएं: फ्लूड (1989), ए प्लेस ऑफ ग्रेटर सेफ्टी (1992), बियोंड ब्लेक (2005).

ब्रिंग अप द बॉडीज एनी बोलिन नामक महिला के जीवन में आए उतार चढ़ावों को हेनरी अष्टम के प्रमुख मंत्री थॉमस क्रोमवेल के नजरिये से देखने की कोशिश है. निर्णायकों ने कहा कि यह अपने पूर्ववर्ती उपन्यास वोल्फ हाल से आगे का कथानक है.

डर्बीशायर में वर्ष 1952 में जन्मीं हिलेरी ने लंदन स्कूल ऑफ इनोनॉमिक्स से कानून की पढ़ाई की. अस्सी के दशक में ब्रिटेन लौटने से पहले वो पांच वर्ष तक बोत्सवाना और चार वर्ष तक सऊदी अरब में रहीं.

बुकर पुरस्कार और भारत: वर्ष 2012 के बुकर पुरस्कार के लिए छह लेखकों की रचनाओं को चयनित किया गया था. इनमें भारतीय मूल के लेखक जीत थायिल भी शामिल थे. जिनका मुंबई में ओपियम के धंधे पर आधारित उपन्यास नार्कोपोलिस बुकर की दौड़ में था. वर्ष 2012 के बुकर पुरस्कार दिए जाने तक भारतीय मूल के चार लेखकों को यह पुरस्कार दिया गया है. जो निम्नलिखित हैं.


अरविंद अडिगा को वर्ष 2008 में व्हाइट टाइगर के लिए किरण देसाई को वर्ष 2006 द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस के लिए, अरूंधति रॉय को वर्ष 1997 द गॉड ऑफ स्माल थिंग्स  के लिए और सलमान रुश्दी को वर्ष 1981 में मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए.

दो बार बुकर पुरस्कार के विजेता: इससे पहले दो बार यह पुरस्कार केवल दो लेखकों को ही मिला है. इनमें ऑस्ट्रेलियाई लेखक पीटर कैरे को 1988 में और 2001 में तथा दक्षिण अफ्रीका के जेएम कोएत्जी को 1983 में और 1999 में यह पुरस्कार मिला था.

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