पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) ने 26 मई 2011 को राज्य में भाषाई अल्पसंख्यकों द्वारा बंगाली के अलावा बोली जाने वाली हिन्दी सहित छह अन्य भाषाओं को मान्यता प्रदान की. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal chief minister Mamata Banerjee) ने हिन्दी, उर्दू, नेपाली, उड़िया, संथाली और गुरूमुखी को भाषाई अल्पसंख्यकों की भाषा के रूप में अधिसूचित करने का फैसला किया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal chief minister Mamata Banerjee) ने यह निर्णय लिया कि उन जिलों में उर्दू को दूसरी भाषा माना जाएगा जहां इसे बोलने वालों की जनसंख्या कम से कम 10 प्रतिशत है. ज्ञातव्य हो कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) के कुछ जिलों में 30 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या हिन्दी बोलती है.
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