पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने पाकिस्तान सरकार के तीन मंत्रियों सहित 28 जनप्रतिनिधियों को निलंबित कर दिया. पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान की याचिका पर सुनवाई के उपरांत लिया.
पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश न्यायमूर्ति इफ्तिकार चौधरी की अगुआई में चार न्यायाधीशों की पीठ ने यह निर्णय 6 फरवरी 2012 को सुनाया. निर्णय में पाकिस्तान के वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख, पेट्रोलियम मंत्री आसिम हुसैन (सीनेट सदस्य) और मादक पदार्थ नियंत्रण मंत्री खुदाबख्श रजार (नेशनल असेंबली सदस्य) सहित 28 जनप्रतिनिधियों (नेशनल असेंबली के नौ सदस्य, तीन सीनेटर, बलूचिस्तान, पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा और सिंध असेंबली के 16 विधायक) को निलंबित किया गया.
पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाकर्ता की इस तर्क को मान लिया कि पाकिस्तान में सीनेट, नेशनल असेंबली और प्रांतीय असेंबली के लिए हुए 28 उपचुनाव अधूरे चुनाव आयोग द्वारा कराए गए थे. इन चुनावों के वक्त पाकिस्तान चुनाव आयोग में कुछ सदस्यों के पद रिक्त थे. पीठ ने इस प्रक्रिया से हुए उपचुनावों को अवैध घोषित करते हुए सभी निर्वाचित सदस्यों को निलंबित कर दिया.
पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पाकिस्तान चुनाव आयोग में कुछ सदस्यों के पद रिक्त होने के बावजूद चुनाव कराने और उसे कानून का आवरण पहनाने के लिए 6 फरवरी 2012 तक का वक्त दिया था. परन्तु इन उपचुनावों को वैध घोषित करने के लिए पाकिस्तान की संसद में 20वां संवैधानिक संशोधन पेश किया गया था जो विपक्ष से मतभेद के कारण पारित नहीं हो सका था.
पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि 20वें संवैधानिक संशोधन के पारित होने तक संसद और प्रांतीय विधानसभा के 28 सदस्य निलंबित रहेंगे.
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