गुजरात उच्च न्यायालय ने बलात्कार पीड़ित 18 वर्षीय दलित लड़की को गर्भपात कराने की इजाजत दी. गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनंत एस दवे ने 8 फरवरी 2011 को अपने फैसले में निष्कर्ष दिया कि यह मामला मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP: Medical Termination of Pregnancy) अधिनियम के दायरे में आता है. पैदा होने वाले बच्चे को भविष्य में मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व आर्थिक समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष दिया गया. न्यायमूर्ति अनंत एस दवे ने गर्भपात द्वारा निकाले जाने वाले भ्रूण के डीएनए परीक्षण का निर्देश भी दिया जिससे बलात्कार जांच को बल मिले. बलात्कार पीड़ित लड़की को 16 सप्ताह का गर्भ है.
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP: Medical Termination of Pregnancy) अधिनियम के तहत गर्भधारण के उन्नत अवस्था (12 सप्ताह से अधिक) में भी यदि चिकित्सक के अनुसार गर्भपात से स्त्री के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, तो गर्भपात कराया जा सकता है. अधिनियम के तहत बलात्कार के फलस्वरूप गर्भधारण का गर्भपात कराया जा सकता है, जिसके लिए पीड़िता की रजामंदी आवश्यक है.
ज्ञातव्य हो कि पीड़ित लड़की का अपहरण सितंबर 2010 में किया गया था, और उसके साथ लगातार दो महीनों तक बलात्कार किया गया. दिसंबर 2010 में पीड़िता को अपहरणकर्ता से छुड़ाया गया था.
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