केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भारत का 'विदेशी ऋण प्रास्थिति रिपोर्ट 2014-15', अगस्त 2015 में जारी किया. वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग द्वारा इसे जारी किया गया.
प्रास्थिति रिपोर्ट 2014-15 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 30 जून, 2015 को जारी किए गए आंकड़ों के आधार पर मार्च, 2015 के अंत तक की स्थिति के अनुसार भारत के विदेशी ऋण का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है. भारत के विदेशी ऋण की प्रवृत्ति, संरचना और ऋण शोधन का विश्लेषण करने के अतिरिक्त इस रिपोर्ट में अन्य विकासशील देशों की तुलना में भारत के विदेशी ऋण की तुलनात्मक छवि भी दर्शाई गई है.
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं निम्न हैं:
• भारत का विदेशी ऋण स्टॉक मार्च अंत 2015 में 475.8 बिलियन अमरीकी डालर था और इसमें मार्च अंत 2014 की तुलना में 29.5 बिलियन अमरीकी डालर (6.6 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है. विदेशी ऋण में वृद्धि दीर्घावधिक ऋण और विशेषकर वाणिज्यिक उधार एवं एनआरआई जमाराशि में वृद्धि के कारण हुई है.
• वर्ष 2015 में दीर्घावधिक विदेशी ऋण 391.1 बिलियन अमरीकी डालर था, जो मार्च अंत 2014 के स्तर की तुलना में 10.3 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है. इस स्तर पर, दीर्घावधिक विदेशी ऋण मार्च अंत 2015 में कुल विदेशी ऋण का 82.2 प्रतिशत था जबकि मार्च अंत 2014 में 79.5 प्रतिशत था.
• मार्च अंत 2015 में अल्पावधिक विदेशी ऋण 84.7 बिलियन अमरीकी डालर था और इसमें मार्च अंत 2014 के 91.7 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 7.6 प्रतिशत की कमी हुई है. यह मुख्य रूप से सरकारी राजकोषीय हुण्डियों में विदेशी संस्थागत निवेश के कम होने के फलस्वरूप हुआ. इस प्रकार, कुल विदेशी ऋण में अल्पावधिक विदेशी ऋण का हिस्सा मार्च अंत 2014 के 20.5 प्रतिशत से घटकर मार्च अंत 2015 में 17.8 प्रतिशत हो गया.
• मार्च अंत 2015 में, सरकारी विदेशी ऋण 89.7 बिलियन अमरीकी डॉलर था जबकि मार्च अंत 2014 में 83.7 बिलियन अमरीकी डॉलर था. कुल विदेशी ऋण में सरकारी विदेशी ऋण का हिस्सा मार्च अंत 2014 के 18.8 प्रतिशत की तुलना में मार्च अंत 2015 में 18.9 प्रतिशत था.
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