यूथेनसिया शब्द का प्रयोग सबसे पहले रोमन इतिहासकार स्यूटोनीअस ने अपनी पुस्तक ‘डी वीटा केईसेरम –डिवस अगस्तस’ में किया था.
इच्छामृत्यु जिसे अंग्रेजी में यूथेनसिया कहा जाता है,ग्रीक शब्द ‘इयू’ और ‘थानाटोस’ से मिलकर बना है.
इयू का अर्थ होता है ‘अच्छा’ और थानाटोस का अर्थ होता है ‘मृत्यु’. यूथेनसिया को स्वेच्छा से दर्द की पीड़ा सहे बगैर जीवन समाप्त करने की प्रवृति के रूप में परिभाषित किया जाता है.
इसके दो प्रकार हैं –
•स्वैच्छिक इच्छामृत्यु
•अनैच्छिक इच्छामृत्यु
स्वैच्छिक इच्छामृत्यु - मरीज की सहमति से उसके जीवन को समाप्त करने की प्रक्रिया को स्वैच्छिक इच्छामृत्यु कहा जाता है.
अनैच्छिक इच्छामृत्यु - व्यक्ति या मरीज की जिजीविषा के वावजूद भी बिना उसके सहमति के उसके जीवन को समाप्त करने की प्रक्रिया अनैक्छिक इच्छामृत्यु कहलाता है. यह लगभग विश्व के सभी देशों में गैर कानूनी है. गैर कानूनी होने के कारण इसे हत्या जैसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है.
स्वैच्छिक इच्छामृत्यु और अनैच्छिक इच्छामृत्यु को सक्रिय तथा निष्क्रिय इच्छामृत्यु के रूप मंस भी जाना जाता है.
निष्क्रिय इच्छामृत्यु - निष्क्रिय इच्छामृत्यु के तहत व्यक्ति के जीवन हेतु आधारभूत आवश्यकताओं तथा औषधियों के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है. अर्थात मरीज़ को ये सारी जरुरी आवश्यकतायें प्रदान नहीं की जाती हैं.
सक्रिय इच्छामृत्यु – सक्रिय इच्छामृत्यु के अंतर्गत जहरीले इंजेक्शन जैसे साधनों का प्रयोग किया जाता है.
इच्छामृत्यु को लेकर भिन्न भिन्न देशों में भिन्न कानून तथा अलग अलग देशों की अलग अलग राय है. इससे सम्बंधित कानून अधिकांश देशों में अलग अलग है. निम्नलिखित देशों में इच्छा मृत्यु पर नियम -
अमरीका- यहां सक्रिय इच्छा मृत्यु को ग़ैर-क़ानूनी माना गया है तथा अपराध की श्रेणी में रखा गया है लेकिन ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में डॉक्टर की सलाह और उसकी मदद से इसकी इजाजत है.
स्विट्ज़रलैंड- यहां असहनीय पीड़ा या फिर जीने की इच्छा समाप्त हो जाने पर स्वयं जहरीला इंजेक्शन लेने की इजाज़त है लेकिन यहाँ इच्छा मृत्यु को ग़ैर- क़ानूनी माना गया है.
नीदरलैंड्स- यहां डॉक्टरों के माध्यम से मरीजों कि सहमति से दी जाने वाली मृत्यु को दंडनीय अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है.
बेल्जियम- यहां सितंबर 2002 से इच्छा मृत्यु वैधानिक हो चुकी है. लेकिन ध्यातव्य है कि ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज़्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु ग़ैर-क़ानूनी है.
नीदरलैंड विश्व का पहला ऐसा देश है जहाँ यूथेनसिया को वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है तथा ऑस्ट्रेलिया के बॉब डांट विश्व के पहले ऐसे व्यक्ति है जिन्हें स्वैच्छिक इच्छा मृत्यु दी गई.
भारत में वर्ष 2011 में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को वैधानिक रूप से स्वीकृत कर लिया गया है.7 मार्च 2011 में उच्चतम न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु को वैधानिक करार दिया.
गौरतलब है कि पिंकी वीरानी नामक अधिवक्ता ने इच्छामृत्यु से सम्बंधित याचिका 2009 में दायर की थी. जिसका फैसला 2011 में आया. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इच्छामृत्यु के लिए निम्नांकित दो ज़रूरी शर्तों को ध्यान में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया–
•मृत मस्तिष्क
•भोजन को बंद करना और दर्द कम करने वाली दवाएं प्रदान करना.
भारत के संविधान के अनुछेद 21 में जीवन की स्वतंत्रता का उल्लेख है.अनुच्छेद 21 के तहत किस भी व्यक्ति के जीवन की स्वतंत्रता विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के आधार पर समाप्त की जा सकती है.
परन्तु 7 मार्च 2011 को आये निर्णय में आईपीसी की धरा 309(आत्महत्या) को वैध बताने वाले 1996 के ज्ञान कौर बनाम पंजाब राज्य मामले में न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि जीवन की स्वतंत्रता को सकारात्मक पक्ष में लिया जाना चाहिए क्योंकि जीवन की स्वतंत्रता का अर्थ जीवन को समाप्त करने की स्वतंत्रता से नहीं लगाया जा सकता है.
वस्तुतः इच्छामृत्यु मानवता और नैतिकता के सन्दर्भ में एक चुनौती पूर्ण कार्य एवं निर्णय है परन्तु असह्य वेदना सहने तथा असाध्य कष्टकारी रोगों से जूझ रहे व्यक्ति के लिए उसके दुखों की निवृति के परिप्रेक्ष्य में कहीं न कहीं मानवीय कदम तथा मानवता का आधार है.
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