भारत और जापान के मध्य व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA: Comprehensive Economic Partnership Agreement) 16 फरवरी 2011 को किया गया. केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा और जापान के विदेश मंत्री सेइजी मायहारा की उपस्थिति में यह समझौता सीमा शुल्क में कमी लाने हेतु किया गया. सेपा समझौते के तहत दोनों देशों के बीच उत्पाद, सेवा व निवेश व्यापार को बढ़ावा देते हुए वर्ष 2014 तक द्विपक्षीय निवेश को 25 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया. इस समझौते के लिए भारत और जापान के प्रधानमंत्री ने अक्टूबर 2010 में समर्थन जताया था.
भारत-जापान सेपा समझौता से दोनों देशों के मध्य दवा, कृषि, वस्त्र, आभूषण, रसायन, पेट्रोलियम और सीमेंट उद्योगों को निवेश में बढ़ावा मिलना है. ज्ञातव्य हो कि जापान का दवा बाजार इससे पहले तक भारतीय कंपनियों के लिए बंद था. समझौते में कुछ भारतीय उत्पादों जैसे फल, मसाले, गेहूं, बासमती चावल, खाद्य तेल, वाईन, स्पीरिट और कुछ औद्योगिक उत्पाद जैसे कार और उसके कल-पुर्जों को संरक्षण देने पर भी सहमति बनी.
सेवा क्षेत्र में भारत-जापान सेपा समझौता से भारत के कुशल व प्रशिक्षित कामगारों को काफी फायदा होना है. लिपिक, शोधार्थी, पर्यटक गाईड, प्रबंधन सहायक, कंप्यूटर, मेकैनिकल, इलेक्ट्रीकल, कंस्ट्रक्शन, इंडस्ट्रियल इंजीनियर आदि को अनुबंध के आधार पर जापान में नौकरी करने का अवसर प्रदान करने का निर्णय लिया गया. जापान की ओर से पहली बार भारतीय योग शिक्षक, शास्त्रीय संगीत शिक्षक, नृत्य शिक्षक, रसोईए और अंग्रेजी भाषा के शिक्षक को अपने यहां काम देने की स्वीकृति प्रदान की गई.
वर्ष 2010 में भारत-जापान के बीच 10.36 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. भारत जापान से मुख्यतः उपभोक्ता सामानों खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का ज्यादा आयात करता है. इन उत्पादों में एलसीडी और एलईडी टीवी के इंडिकेटर पैनल, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, मेमोरी कार्ड, कैलकुलेटर, बैटरी चार्जर, सीडी, डीवीडी, डीवीडी प्लेयर, लिथियम बैटरी आदि प्रमुख हैं. इसके अलावा बुने हुए और सिल्क कपड़ों का भी जापान से आयात होता है. इन पर करीब 10 फीसदी तक सीमा शुल्क लगता है. जबकि भारत से निर्यात किए जाने वाले करीपत्ता और चाय पर जापान में 3.6 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत सीमा शुल्क लगता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation