रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने 8 जून 2015 को सामरिक ऋण पुनर्गठन (एसडीआर) योजना की घोषणा की.यह योजना बैंक और गैर-बैंकिंग ऋण संस्थानों को उनके ऋणों को इक्विटी हिस्सेदारी में परिवर्तित करने की अनुमति देती है.
यह योजना क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के अतिरिक्त पूरे भारत में सभी तरह के बैंकों के ऋण और पुनर्वित्त संस्थानों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक, निर्यात-आयात (एक्जिम) बैंक, कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) और नेशनल बैंक (नाबार्ड) के लिए लाभदायक होगी.
सामरिक ऋण पुनर्गठन (एसडीआर) योजना की मुख्य विशेषताएं
• कर्ज़दार ऋण लेने के बाद यदि निर्धारित शर्तों को पूरा करने में विफल रहता है तो ऋणदाता पुनर्गठन पैकेज के तहत अपने बकाया ऋण को बहुमत हिस्सेदारी में परिवर्तित करने का अधिकारी होगा.
• कर्ज़दार किए गए वायदों को पूरा करने में विफल रहता है तो ऋण पुनर्गठन योजना यह निर्धारित करती है कि ऋणदाता, कर्ज का कुछ हिस्सा या पूरे क़र्ज़ को इक्विटी में कन्वर्ट कर सकता है.
• एसडीआर लागू करने का निर्णय कर्ज़दार के खाते की समीक्षा के 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए. यह 75 प्रतिशत लेनदारों के मूल्य आधारित और 60 प्रतिशत संख्या के आधार पर अनुमोदित किया जाना चाहिए.
• ऐसा निर्णय लेने के बाद 90 दिनों के भीतर उधारदाताओं को एसडीआर रूपांतरण पैकेज स्वीकार करना चाहिए.
• पोस्ट रूपांतरण, सभी उधारदाताओं का कंपनी से अधिक इक्विटी का 51 प्रतिशत होना चाहिए.
संयुक्त उधारदाता फोरम (JLF)
• संयुक्त उधारदाता फोरम किसी कम्पनी के कारोबारी प्रदर्शन पर नजर रख सकता है और आवश्यकता पड़ने पर एक उपयुक्त पेशेवर प्रबंधन की नियुक्ति भी कर सकता है.
• उधारदाता कंपनी के इक्विटी धारकों को उनके हिस्से से वंचित करके जल्द से जल्द नए प्रमोटरों को इक्विटी दे देनी चाहिए.
• मौजूदा प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह से नए प्रमोटर एक व्यक्ति/ संस्था/ सहायक/ सहयोगी, आदि नहीं होना चाहिए (यह दोनों स्थितयां घरेलू और विदेशी दोनों पर लागू होती हैं.)
• नया प्रमोटर कंपनी की हिस्सेदारी में पूरे 51 प्रतिशत हासिल कर लेता है. जबकि विदेशी निवेश के लिए कम से कम 51 प्रतिशत तक ही सीमित है, नए प्रमोटर पेड-अप इक्विटी कैपिटल का या लागू विदेशी निवेश सीमा तक कम से कम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी ही कर सकता है.
• एक नए प्रमोटर के पक्ष में बैंकों की हिस्सेदारी के विनिवेश पर खाता की परिसंपत्ति वर्गीकरण मानक के अनुरूप बढ़ाया जा सकता है.
• इक्विटी में ऋण रूपांतरण के लिए सूत्र बैंकों के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा निर्धारित मौजूदा मानदंडों से अलग हैं.
• इक्विटी रूपांतरण के लिए ऋण की कीमत स्थिर राखी जाएगी, अगर उधार लेने वाली कंपनी सूचीबद्ध है तो बाजार मूल्य पर और सूचीबद्ध नहीं है तो नवीनतम बैलेंस शीट के अनुसार बुक वैल्यू पर सीमित किया जाएगा. शेयर रूपांतरण मौजूदा अंकित मूल्य 10 रुपए से सममूल्य से कम नहीं हो सकता.
• ऋण का इक्विटी में रूपांतरण भी पूंजी बाजार में निवेश जोखिम, पैरा-बैंकिंग गतिविधियों और आतंरिक -समूह जोखिम में निवेश पर नियामक से मुक्त रखा जाएगा.
टिप्पणीभारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग प्रणाली में गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में भारी वृद्धि के लिए इस योजना की घोषणा की है. एक अनुमान के अनुसार सकल एनपीए 2014-15 के दौरान 4.4 प्रतिशत के खिलाफ 2015-16 के दौरान कुल अग्रिमों के 5.9 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है.
एनपीए वह परिसंपत्तियां हैं जो ब्याज या मूलधन की किस्त के रूप में 90 दिन से अधिक की अवधि के ऋण के संबंध में अतिदेय हैं.
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