प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस समारोह की मेजबानी वर्ष 2013 में मंगोलिया ने की. इस बार यह समारोह पांच दिनो तक मंगोलिया की राजधानी उलनबतर (Ulaanbaatar) में 1 से 5 जून तक मनाया गया.
वर्ष 2013 के पर्यावरण दिवस की थीम है. थिंक, ईट-सेव (सोचो, खाओ-बचाओ. Think. Eat. Save) अर्थात भोजन की बर्बादी रोकने को लेकर विश्वव्यापी जागृति.
विश्व पर्यावरण दिवस जैव-विविधता के संरक्षण के महत्व को प्रोत्साहित करने, पर्यावरण के उभरती चुनौतियों का पता लगाने एवं उनका हल निकालने हेतु प्रति वर्ष मनाया जाता है. विश्व पर्यावरण दिवस पहली बार 1973 में मनाया गया था. प्रत्येक वर्ष इसे अलग-अलग शहरों एवं थीम के अनुसार मनाया जाता है. भारत में विश्व पर्यावरण दिवस 2011 में मनाया गया था जिसका थीम था – ‘फॉरेस्ट: नेचर ऐट योर सर्विस’ (वन: प्रकृति आपकी सेवा में. Forest: Nature at your service).
मंगोलिया को वर्ष 2013 के विश्व पर्यावरण दिवस समारोह की मेजबानी यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme) के द्वारा 22 फरवरी 2013 को सौंपी गई थी.
मंगोलिया मध्य पूर्व एशिया का एक छोटा-सा देश है. इसकी राजधानी उलन बतोर (Ulan Bator) है. जलवायु परिवर्तन के कारण मंगोलिया कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है. खाद्य संकट और जानलेवा साबित हो रही सर्दियों से घुमंतु कबीले के लोग परेशान हैं. इससे लोग और मवेशी दोनों मर रहे हैं. कुछ क्षेत्रों में तापमान माइनस चालीस डिग्री सेल्सियस (-40C) चला जाता है. हाल के दिनों में 2.7 मिलियन मवेशी मारे जा चुके हैं. मंगोलिया जल संकट से भी जूझ रहा है. इस विषम परिस्थितियों के बावजूद मंगोलिया तेजी से आर्थिक विकास हासिल कर रहा है.
मंगोलिया ने कई आर्थिक परेशानियों के बावजूद हरित अर्थतंत्र का रास्ता चुना है. खनन सहित कई आर्थिक क्षेत्रों में उसे लागू किया है. यही नहीं, वैश्विक आर्थिक मंदी से जूझते हुए इस देश ने युवाओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया. इसके सकारात्मक परिणाम दिखने भी लगे हैं.
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