मलाला युसुफजई को लिबर्टी मेडल 2014 से 21 अक्टूबर 2014 को सम्मानित किया गया. समारोह फिलाडेल्फिया के राष्ट्रीय संविधान केंद्र में आयोजित किया गया. उन्हें यह सम्मान विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में साहस और उन लोगों के लिए आवाज उठाने के लिए दिया गया है जो बुनियादी मानवाधिकारों और स्वतंत्रता से वंचित हैं.
पाकिस्तानी किशोरी और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई वर्ष 1988 में स्थापित इस अमेरिकी पुरस्कार को प्राप्त करने वाले सबसे युवा व्यक्तित्व हैं. मलाला ने पुरस्कार स्वरुप मिलने वाली एक लाख अमेरिकी डॉलर की धनराशि को पाकिस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में दान देने का वादा किया.
लिबर्टी मेडल के बारे में
लिबर्डी मेडल हर वर्ष वैसी शख्सियत (पुरुष या महिला) को दिया जाता है जो अपने साहस और दृढ़ विश्वास से दुनिया भर में लोगों की स्वतंत्रता को सुरक्षित करने का प्रयास करते हैं. इसकी स्थापना वर्ष 1988 में अमेरिकी संविधान के दो सौ वर्ष पूरे होने पर की गई थी. सबसे पहले यह मेडल वर्ष 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपतियों जॉर्ड एच. डब्ल्यू. बुश और बिल क्लिंटन को दक्षिणपूर्व एशिया में आई सुनामी और फिर खाड़ी तट पर तूफान के पीड़ितों के लिए मानवीय प्रयास करने पर राष्ट्रीय संविधान केंद्र में प्रदान किया गया था. यह पदक प्राप्त करने वाले छह प्राप्तकर्ताओं को बाद में नोबल शांति पुरस्कार भी मिला.
इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पूर्व शख्सियतों में शामिल हैं. रोडहम क्लिंटन (2013), मुहम्मद अली (2012), रॉबर्ट गेट्स (2011), टोनी ब्लेयर (2010), जॉर्ड एच डब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन (2006), कोफी अन्नान (2001) और हामिद करजई (2004). लेच वालेसा वर्ष 1989 में सबसे पहले पदक जीतने वाले पहले व्यक्ति थे.
मलाला युसुफजई के बारे में
मलाला ने ग्यारह वर्ष की उम्र में पाकिस्तान में तालिबान के खिलाफ बीबीसी में लिखकर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा था. मलाला ने नकली नाम गुल माकाई के नाम से लिखा था. उन्हें वर्ष 2011 में पाकिस्तान के राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसी वर्ष उन्हें इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स पीस प्राइज के लिए भी नामांकित किया गया. तालिबान ने उन्हें जान से मारने की कोशिश की थी और जब वे स्कूल से वापस लौट रही थी तब उनके सिर में गोली मारी गई थी लेकिन वे बच गईं. वे अब तक की सबसे युवा नोबेल पुरस्कार विजेता भी हैं. उन्हें कैलाश सत्यार्थी के साथ नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था. सत्यार्थी बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाले भारतीय हैं और उन्हें यह पुरस्कार बच्चों और युवाओं के दमन एवं उनकी शिक्षा के अधिकार की लड़ाई के लिए दिया गया.
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