मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की घोषणा जुलाई 2014 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में की थी. बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने इसके लिए 100 करोड़ रुपए के बजट को आवंटित करने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फ़रवरी 2015 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ कस्बे में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारंभ किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने “स्वस्थ धरा खेत हरा” का नारा दिया .
क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ?
मर्दा स्वास्थ्य कार्ड योजना केंद्र सरकार की राष्ट्रव्यापी योजना है. योजना का उद्देश्य कृषकों को पोषक तत्वों या उर्वरकों के उपयोग की बुनियादी जानकारी उपलब्ध करा कर उत्पादकता में सुधार लाना है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड की इस योजना की घोषणा जुलाई 2014 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में की थी. इस योजना के लिए वित्त मंत्री ने 100 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था.
जबकि 56 करोड़ रुपए का बजट 100 मोबाइल प्रयोगशालाओं को स्थापित करने के लिए आवंटित किया गया था.
इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने अगले तीन वर्षों में 14 करोड़ से अधिक किसानों को लक्षित करने की योजना बना रही है. वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान लगभग 3 करोड़ किसानों को इस योजना के तहत कवर किया जाएगा.
क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड ?
मृदा स्वास्थ कार्ड एक ऐसा कार्ड है जिसमे मृदा की उत्पादन क्षमता अर्थात मृदा के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखा जाएगा. मृदा का स्वास्थ अच्छा है या खराब इसका निर्धारण विशेषज्ञों द्वारा प्रोयोगशाला में मृदा के नमूने का परीक्षण करने के बाद तय किया जाएगा. विशेषज्ञों द्वारा निकाले गए परिणाम के आधार पर किसानों को आवश्यक उर्वरक और विभिन्न पोषक तत्वों के उपयोग की जानकारी दी जाएगी.
विश्लेषण
भारतीय कृषक कृषि के वैज्ञानिक पहलुओं से अनजान या तो खेतों में जरूरी उर्वरकों और पोषक तत्वों का इस्तेमाल नहीं या कम करते हैं और या तो भूमी से अधिक से अधिक उत्पादकता प्राप्त करने के लिए वह खेतों में उर्वरकों और अन्य पोषक तत्वों का अत्याधिक प्रयोग करने लगते हैं.
परन्तु यह दोनों ही स्थितियाँ भूमि की लिए नकारात्मक है. क्योंकि इन दोनों ही स्थितियों से भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है.
जिस तरह से मनुष्य को अपने स्वास्थ्य के लिए ‘बैलेंस डाइट’ की आवश्यकता होती है उसी तरह भूमि को भी ‘बैलेंस न्यूट्रीशन’ की आवश्यकता होती है.
अतः यह आवश्यक है की कृषकों को कृषि के वैज्ञानिक पहलुओं के प्रति जागरूक बनाया जाए.
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