म्यांमार सरकार ने 15 अक्टूबर 2015 को राष्ट्रीय संघर्ष विराम समझौते (एनसीए) के तहत आठ सशस्त्र विद्रोही बलों से शांति बहाली के लिए समझौता किया. देश में सक्रिय अन्य सात विद्रोही दलों ने इस समझौते में हस्ताक्षर नहीं किये.
यह समझौता राजधानी नैप्यीदा में हुआ. इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र, चीन एवं अमेरिका के प्रतिनिधि मौजूद थे.
समझौते की विशेषताएं
• संघर्ष विराम की निगरानी के लिए संयुक्त संघर्ष विराम निगरानी समिति (जेएमसी) का गठन किया जायेगा.
• हालत में सुधार होने पर सरकार विकास कार्यों पर ध्यान देगी. अन्तरराष्ट्रीय सहयोग एवं निवेश द्वारा प्राप्त होने वाले लाभ पर भी ध्यान दिया जायेगा.
• संयुक्त समिति शांति वार्ता की भी स्थापना की जाएगी ताकि एनसीए द्वारा अनुमोदित वार्ता को आगे बढाया जा सके.
जातीय सशस्त्र संगठनों से तीन मुख्य राष्ट्रीय कारणों के तहत समझौता किया गया है :
1. संघ का गैर-विघटन
2. राष्ट्रीय एकता का गैर-विघटन
3. राष्ट्रीय संप्रभुता का स्थायीकरण
• सरकार ने इन सशस्त्र संगठनों की लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों पर आधारित संघ की स्थापना की मांग को भी मंजूर कर लिया है.
कुछ समूह जिन्होंने शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये, वे निम्नलिखित हैं :
द यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी (यूडब्ल्यूएसए) : यह समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले समूहों में सबसे बड़ा ग्रुप है. चीन की सीमा पर इसके 25000 सदस्य तैनात हैं.
कचिन इंडिपेंडेंस आर्गेनाईजेशन (केआईओ) : इसकी स्वतन्त्र सेना कचिन राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग को कंट्रोल करती है. इसका वर्ष 2011 से संघर्ष विराम टूटने के बाद से बर्मा की सेना के साथ लगातार संघर्ष जारी रहता है.
शान स्टेट आर्मी : यह एक बड़ा समूह है जो शान राज्य में सैन्य गतिविधि को नियंत्रित करता है. इसकी स्थापना वर्ष 1964 में हुई थी जिसमें हज़ारों स्थानीय लोगों को भर्ती किया गया.
टिप्पणी
इस समझौते के पश्चात् राष्ट्रपति थिन सिन ने आशा जताई कि छह दशकों से चला आ रहा संघर्ष आखिर समाप्त हो जायेगा.
म्यांमार (बर्मा) वर्ष 1948 में ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के बाद से ही बहुत से सशस्त्र विद्रोही बलों से जूझ रहा है. इस संघर्ष में अब तक हज़ारों लोग मारे जा चुके हैं तथा असंख्य लोग अपने निवास स्थानों से विस्थापित हो चुके हैं.
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