सऊदी अरब ने यमन में हाउती विद्रोहियों के विरुद्ध 25 मार्च 2015 को सैन्य अभियान शुरू कर दिया. इस सैन्य अभियान में हवाई हमलों का भी प्रयोग किया जाएगा. हाउती विद्रोहियों के प्रभाव के चलते यमन के राष्ट्रपति अब्दुराबुह को पहले ही यमन छोड़ कर भागना पड़ा चुका है. इस सैन्य अभियान को नौ अन्य देशों के सहयोग से चलाया जाएगा.
यह सैन्य अभियान यमन सरकार का समर्थन करने और हाउती विद्रोहियों को देश में कब्ज़ा करने से रोकने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है.
वर्तमान में यह अभियान यमन के कुछ ही ठिकानों तक ही सीमित है. इस समय हवाई हमले में राष्ट्रपति भवन और राजधानी साना में पुलिस और विशेष बलों के मुख्यालय को ही निशाना बनाया जा रहा है.
सऊदी अरब के नेतृत्व में इस अभियान में जॉर्डन, सूडान, मोरक्को, मिस्र, पाकिस्तान और खाड़ी सहयोग परिषद के देश जैसे बहरीन, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जुड़े हैं.
इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अभियान में खुफिया समूह के द्वारा समर्थन करने का भरोसा जताया है लेकिन अमेरिकी सेना प्रत्यक्ष रूप से इस अभियान में भाग नहीं लेगी.
ईरान शिया विद्रोहियों के यमन में आर्थिक और राजनीतिक सुधारों की माँग कर रहा है और मार्च 2015 के तीसरे सप्ताह में शिया विद्रोहियों ने यमन के तीसरे सबसे बड़े शहर तैज़ पर और फरवरी 2015 में यमन की राजधानी साना पर कब्ज़ा कर लिया था जिसके कारण अमेरिका को साना में अपना काम काज बंद करना पड़ गया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation