भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने दिल्ली के राजपथ पर 63वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी 2012 को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया. दिल्ली सहित पूरे भारत में भी विभिन्न राज्यों की राजधानियों में वहां के राज्यपाल द्वारा झंडोतोलन कर गणतंत्र दिवस मनाया गया.
63वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कैबिनेट के अन्य मंत्री व गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में थाईलैंड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा शामिल हुईं. समारोह में भारत की बढ़ती स्वदेशी सैन्य ताकत, साझी विविध संस्कृतियों व लोक कलाओं का प्रदर्शन किया गया.
गणतंत्र दिवस समारोह में देश में ही विकसित अग्नि-4 मिसाइल (परमाणु शस्त्र ले जाने में सक्षम, 3000 किमी मारक क्षमता) आकषर्ण का मुख्य केन्द्र रही. जबकि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार एक महिला अधिकारी फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्नेहा शेखावत ने वायुसेना की टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए महिला सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को सलामी दी. परेड के दौरान भारतीय सेना ने टी-72 टैंकों, मल्टीपल लांच रॉकेट सिस्टम, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम, परमाणु हमले के समय पानी को शुद्ध करने की प्रणाली और रिमोट कंट्रोल को जाम करने जैसे सैनिक साजोसामान का भी प्रदर्शन किया गया.
गणतंत दिवस परेड शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. अमेरिका से खरीदे गए सी-130 जे सुपर हक्यरूलिस विमान को गणतंत्र दिवस की झांकी और फ्लाईपास्ट दोनों में पहली बार पेश किया गया. परेड के अन्त में भारतीय वायुसेना के एमआई-35 लडाकू हेलीकाप्टरों, मिग-29 लड़ाकू विमानों, जगुआर लड़ाकू विमान और अत्याधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई-30 ने उड़ान भरकर फ्लाईपास्ट किया.
गणतंत दिवस परेड के उपरांत राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मराठा लाइट इंफेंटरी की 15वीं बटालियन के लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह को (मरणोपरान्त) अशोक चक्र प्रदान किया. शहीद नवदीप सिंह के पिता सूबेदार मेजर (मानद) लेफ्टिनेंट जोगिन्दर सिंह ने यह सम्मान हासिल किया. वर्ष 2009 में वीरता पुरस्कार से सम्मानित 24 में से 19 बच्चों को भी इस बार परेड में खुली और सजी-धजी जीपों में शामिल किया गया. पांच बच्चों को मरणोपरांत वीरता के लिए पुरस्कृत किया गया है.
दिल्ली स्थित राजपथ से ऐतिहासिक लालकिले तक 63वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर 23 राज्यों और केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों ने अलग झांकियों का प्रदर्शन भी किया. पहली बार केन्द्रीय चुनाव आयोग ने मतदान के महत्व को दर्शाती झांकी प्रस्तुत की. बिहार की झांकी में भागलपुर जिले के गांव धरहारा की परम्परा को प्रस्तुत किया गया. इसमें बेटियों के महत्व एवं स्थान को दर्शाया गया. इस गांव में लड़की पैदा होने पर 10 फलदार वृक्ष लगाने की परम्परा है. पश्चिम बंगाल की झांकी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि गुरु रवींद्र नाथ टैगोर को समर्पित थी जिसमें उनके द्वारा स्थापित शांति निकेतन को दर्शाया गया.
जम्मू-कश्मीर ने श्रीनगर के स्थापत्य कला एवं धरोहर की झांकी पेश की तो छत्तीसगढ़ की झांकी में मिट्टी का काम करने वाले कलाकारों की पारम्परिक जिंझारी और डोंडाकी कला को प्रस्तुत किया गया. कर्नाटक की झांकी में प्राचीन सांस्कृतिक परम्परा एवं पूजा भूताराधाने को साकार किया गया जबकि मेघालय की झांकी में जयंतिया लोकनृत्य को जीवंत किया. राजस्थान की झांकी में आमेर के भव्य किले को दर्शाते हुए राजस्थानी घूमर लोकनृत्य को प्रस्तुत किया गया. जबकि असम की झांकी में भोरताल नृत्य को प्रस्तुत किया गया. सामुदायिक भावना के लिए संयुक्त राष्ट्र से पुरस्कृत नगालैंड की झांकी में आपसी भाईचारे को दिखाया गया, वहीं किरत खाम्बू राय समुदाय के मनाए जाने वाले साकेवा त्योहार का प्रदर्शन सिक्किम की झांकी के जरिए हुआ.
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