वर्ष 1990 से 2005 के बीच हर मिनट 9.3 हेक्टेयर जंगलों की कटाई हुई है. वनों के खात्मे पर यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र ने 1 दिसंबर 2011 को जारी की. यानी संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान हर साल औसतन 49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले वनों की कटाई की गई.
संयुक्त राष्ट्र ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए बताया कि पूरी धरती पर अब तीस फीसदी वन क्षेत्र ही बचा है, जो अपने आप में एक खतरे की घंटी है. वनों की कटाई और इसके चलते वन्य जीवों के विलुप्त होने के आंकड़े भी भयानक हैं. रिपोर्ट के अनुसार लाखों की तादाद में वन्य जीव लुप्त हो रहे हैं.
खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization, एफएओ) के आंकड़ों के अनुसार वनों की यह कटाई इंसानों के आमतौर पर किये जाने वाले विकास कार्यों के नाम पर की गई है. इसके चलते 15 सालों (1990 से 2005) में पूरी दुनिया में 7 करोड़ 29 लाख हेक्टेयर में फैली वन संपदा पूरी तरह से खत्म हो चुकी है.
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1990 से 2000 के बीच वनों की कटाई का अनुपात प्रतिवर्ष 41 लाख हेक्टेयर प्रति वर्ष था जो वर्ष 2000 से 2005 के बीच बढ़कर 64 लाख हेक्टेयर हो गया. कटिबंधीय इलाकों में ही अधिक वन काटे गए हैं. इसमें ज्यादातर वनों को काटकर वहां खेत बना दिए गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र को उपग्रहों से मिले चित्रों के अनुसार वर्ष 2005 में दुनिया भर में केवल 3.69 अरब हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन फैले हुए हैं. दरअसल यह आंकड़ा बताता है कि अब पूरी धरती पर मौजूद जमीन में केवल 30 फीसदी हिस्सा ही वन क्षेत्र बचा है.
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