विदेश व्यापार के इलेक्ट्रॉनिक बैंक वसूली प्रमाण पत्र (ई-बीआरसी) परियोजना का चयन व्यापार सरलीकरण वर्ग के अंतर्गत वर्ष 2013 के ई एशिया पुरस्कार के लिए किया गया. वियतनाम के हो ची मिन्ह शहर में व्यापार सरलीकरण तथा इलेक्ट्रॉनिक व्यापार (एएफएसीटी) के एशिया प्रशांत परिषद द्वारा इसकी घोषणा 29 नवम्बर 2013 को की गई. यह पुरस्कार व्यापार सरलीकरण तथा इलेक्ट्रॉनिक व्यापार (एएफएसीटी) द्वारा दिया जाता है.
इलेक्ट्रॉनिक बैंक वसूली प्रमाण पत्र (ई-बीआरसी) परियोजना
ई- बीआरसी परियोजना एक एकीकृत मंच है जिसकी स्थापना निर्यातकों, बैंकों, केंद्र तथा राज्य सरकार के विभागों द्वारा सभी बैंक वसूली संबंधित सूचना की प्राप्तियों तथा अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए की गई. ई- बीआरसी परियोजना 5 जून 2012 को प्रभावी हुई. 17 अगस्त 2012 से इसे अनिवार्य रूप से लागू किया गया.
विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत निर्यात संबंधी दायित्वों को पूरा करने तथा छूट संबंधी दावों के लिए बैंक वसूली प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. पहले इस प्रमाण पत्र को बैंकों द्वारा जारी किया जाता था. वैट के भुगतान के लिए राज्य सरकार विभागों द्वारा भी ई-बीआरसी का प्रयोग किया जाता है.
ई-बीआरसी परियोजना व्यापारिक सामानों के निर्यात को एक सुरक्षित प्रोटोकाल के अंतर्गत डीजीएफटी सर्वर अपलोड करने के अधिकार देता है. भारत में वर्तमान में कार्यरत विदेशी एवं सहकारी कुल 89 बैंकों ने डीजीएफटी सर्वर पर 64 लाख से अधिक ई- बीआरसी अपलोड किए है. इस कदम ने निर्यातकों के लिए वित्तीय सौदों में आने वाली लागत को कम कर दिया है और इससे बैंकों तथा डीजीएफटी की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हुई है.
राज्य स्तर पर महाराष्ट्र, दिल्ली, ओडि़शा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर विभागों ने डीजीएफटी के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए है ताकि वैट के बकाया भुगतान के लिए ई-बीआरसी आंकड़ों को प्राप्त किया जा सके. कई अन्य राज्य भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में है.
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