अमेरिका में फरवरी 2016 में जारी ‘ग्लोबल बर्डन आफ़ डिजीज़ प्रोजेक्ट’ शोध रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण विश्व में हर वर्ष 55 लाख से ज़्यादा लोगों की मृत्यु होती है. इनमें से आधी मृत्यु भारत और चीन में होती हैं.
मुख्य तथ्य:
• भारत में इन कारणों से होनेवाली मृत्यु की तादाद 13 लाख है जबकि चीन में 16 लाख.
• शोध वैज्ञानिकों के अनुसार, आंकड़ें साबित करते हैं कि कुछ देशों को वायू प्रदूषण पर क़ाबू करने के लिए तेज़ी से काम करने की ज़रूरत है.
• यह शोध अमरीकी शहर बोस्टन के हेल्थ इफ़ेक्ट्स इंस्टीच्यूट ने किया है.
• इसके अनुसार, बीजिंग या दिल्ली में हवा में 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा महीन कण (जिन्हें पीएम 2.5 कहा जाता है) होते हैं, जबकि ये 25 से 35 माइक्रोग्राम होनी चाहिए.
• महीन तरल या ठोस कणों के सांस के साथ अंदर जाने से दिल की बीमारी, दिल का दौरा, सांस लेने में तकलीफ़ और यहां तक कि कैंसर हो सकता है.
• प्रदूषित हवा की वजह से मृत्यु की तादाद विकासशील देशों में उपर है.
• इस अध्ययन में पाया गया है कि कुपोषण, मोटापा, शराब और दवाओं के बेज़ा इस्तेमाल और असुरक्षित सेक्स से जितने लोगों की मृत्यु होती है, उससे ज़्यादा लोग वायू प्रदूषण के कारण मौत के शिकार हो रहे हैं.
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