सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि विवाहित पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत गुजारा-भत्ता नहीं दिया जा सकता. यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने 28 नवंबर 2013 को दिया.
पीठ ने यह निर्णय इंद्रा शर्मा (Indra Sarma) की ओर से दायर उस अपील पर जारी किया, जिसमें घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत गुजारा-भत्ता की मांग की थी.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीसी घोष की पीठ ने लिव इन में रहने वाली महिला की गुजाराभत्ता देने की मांग खारिज करते हुए कहा है, ‘उसे (महिला) मालूम था कि जिसके साथ वह संबंध बना रही है वह शादी-शुदा है. उसके दो बच्चे हैं. उसकी पत्नी के विरोध के बावजूद उसने संबंध बनाए. अगर पीठ महिला के भरण पोषण का आदेश देंगे तो कानूनन ब्याहता पत्नी और उसके बच्चों के साथ अन्याय होगा.’
पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि “घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत लिव-इन में रह रही उस महिला को भरण-पोषण का लाभ दिया जा सकता है जिसका पुरुष के साथ इस तरह का रिश्ता रहा हो जैसा विवाहित मर्द और स्त्री के बीच होता है. लेकिन दो बच्चों का पिता और पत्नी की भली भांति जानकारी होने के बाद भी पुरुष से रिश्ते बनाने वाली महिला को सिर्फ ‘रखैल’ का दर्जा ही मिल सकता है”.
पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता महिला का स्तर विवाहिता का है जो कि अब दुख व परेशानी में है. लिव इन संबंधों के उत्तरजीवी (सरवाइवर) गहरी चिंता का विषय हैं. उस समय स्थिति और चिंता जनक होती है जब ऐसा व्यक्ति गरीब और अनपढ़ हो. ऐसे रिश्तों से उत्पन्न बच्चे भी मुसीबत झेलते हैं. संसद को इनके बचाव के उपाय करने चाहिए. कानून बनाना चाहिए’. संसद या तो कानून बनाए या फिर मौजूदा कानून में संशोधन करे ताकि बिना लिव इन में रहने वाली महिलाओं व उनके बच्चों को संरक्षण मिल सके.
पीठ ने कहा है कि 'लिव-इन न तो अपराध है और न ही पाप है.' भले ही इस देश में सामाजिक रूप से यह अस्वीकार्य हों. शादी करना, नहीं करना या यौन संबंध रखना बिल्कुल व्यक्तिगत मामला है’.
विदित हो कि याचिकाकर्ता इंद्रा शर्मा एक विवाहित व्यक्ति वीकेवी शर्मा (V.K.V. Sarma) के साथ वर्ष 1995 से लिव-इन-रिलेशनशिप में बंगलुरू में रह रही थी. याचिकाकर्ता इंद्रा शर्मा को निचली अदालत ने महिला को गुजारा भत्ता प्रदान किया था लेकिन और उच्च न्यायालय, कर्नाटक ने उसे कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उसके संबंध की प्रकृति वैवाहिक नहीं है. महिला जानती थी कि वह ऐसे व्यक्ति के साथ रह रही है जो शादी-शुदा है. महिला के माता-पिता, भाई-बहन तथा पुरुष की पत्नी और उसके दो बच्चों ने इन रिश्तों का विरोध किया था. फिर भी महिला मर्द के साथ रही.
Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.
Latest Stories
Current Affairs One Liners 01 Sep 2025: सेमीकॉन इंडिया-2025 का आयोजन कहां किया जा रहा है?
एक पंक्ति मेंCurrent Affairs One Liners 29 August 2025: नीरज चोपड़ा ने ज्यूरिख डायमंड लीग में कौन-सा मेडल जीता?
एक पंक्ति मेंCurrent Affairs Quiz 27 अगस्त 2025: INS उदयगिरि और INS हिमगिरि किस वर्ग के जहाज है?
डेली करेंट अफेयर्स क्विज
यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!
Comments
All Comments (0)
Join the conversation