वैश्विक स्तर पर अपनी क्रेडिट सेवाओं के लिए विख्यात प्राइवेट फर्म क्रेडिट सुईस ने 13 अगस्त 2013 को जारी अपने शोध नोट में भारत की जीडीपी के विकास की दर को वित्तीय वर्ष 2013-14 में 6.5 प्रतिशत से घटकर 6.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया. न सिर्फ वर्तमान वित्त वर्ष बल्कि क्रेडिट सुईस ने वर्ष 2014-15 के लिए भी भारत के विकास अनुमान को 7.5 प्रतिशत से कम होकर 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया.
क्रेडिट सुईस ने अपने शोध नोट में कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था में चारों ओर निराशा का वातावरण मौजूद है इसलिए निवेश संबंधी परिस्थितियां जटिल होती जा रही हैं. ज्यादातर उद्योग समूहों एवं जीडीपी में बड़ी हिस्सेदारी वाले क्षेत्रों का उत्पादन घटा है. इन सभी के चलते आर्थिक परिस्थितियां कठिन हो रही हैं.”
वर्तमान कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बारे में क्रेडिट सुईस ने अपनी शोध रिपोर्ट में नकारात्मक वातावतरण के साथ-साथ कई कारकों को भी जिम्मेवार माना है जैसे कि मुद्रा विमिनय बाजार में रुपये की गिरती साख, बिजनेस एवं उपभोक्ताओं का गिरता भरोसा, आरबीआई के तरलता कम करने संबंधी प्रयास, आदि.
हालांकि क्रेडिट सुईस ने अपने शोध नोट मे भारतीय अर्थव्यवस्था के सकारात्मक पक्ष का जिक्र करते हुए कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था की मूलभूत परिस्थितियां वर्ष 2012-13 के मुकाबले 2013-14 मे काफी बेहतर हैं जिसके परिणामस्वरूप योजनाबद्ध प्रयासों से विकास की गति बढ़ाई जा सकती है.”
नोट में कहा गया है कि कठिन दौर में भी थोक मूल्य सूचकांकों पर आधारित मुद्रास्फीति में कमी के संकेत निस्संदेह आशाजनक हैं लेकिन अन्य कड़ी परिस्थितियां ज्याद प्रभावी हो रही हैं.
विदित हो कि फरवरी 2013 में भारत सरकार की ओर से जारी किये आकड़ों में वर्ष 2013-14 के लिए विकास अनुमानों को 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था.
अन्य अनुमान
हाल ही में आरबीआई ने भी वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही की समीक्षा में वर्ष 2013-14 में भारत की विकास दर के 5.7 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
पिछले महीने एशियाई विकास बैंक ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की दर को अपने पहले के अनुमान 6 प्रतिशत से घटाकर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
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